मंगल के खराब होने पर क्या होता है?

मंगल के खराब होने पर क्या होता है?

प्रेषित समय :19:31:58 PM / Mon, May 3rd, 2021

सौर मंडल में मंगल का अपना स्थान है. मंगल भी धरती को कई सारी आपदाओं से बचाता है. मंगल ग्रह धरती को शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से भी बचाता है. मंगल के कारण ही समुद्र में मूंगे की पहाड़ियां जन्म लेती हैं और उसी के कारण प्रकृति में लाल रंग उत्पन्न हुआ है.

लाल किताब के अनुसार मंगल नेक और मंगल बद अर्थात शुभ और अशुभ दोनों को अलग-अलग मानते हुए उनके देवता और अन्य सभी बातें अलग-अलग कही गई हैं. लाल किताब के अनुसार कुंडली में मंगल के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया गया है. यहां जानिए संक्षिप्त जानकारी.

कैसे होता मंगल खराब?

घर का पश्‍चिम कोण यदि दूषित है तो मंगल भी खराब होगा.

हनुमानजी का मजाक उड़ाने या अपमान करने से.

धर्म का पालन नहीं करने से.

भाई या मित्र से दुश्मनी मोल लेने से.

निरंतर क्रोध करते रहने से.

मांस खाने से.

चौथे और आठवें भाव में मंगल अशुभ माना गया है.

किसी भी भाव में मंगल अकेला हो तो पिंजरे में बंद शेर की तरह है.

सूर्य और शनि मिलकर मंगल बद बन जाते हैं.

मंगल के साथ केतु हो तो अशुभ हो जाता है.

मंगल के साथ बुध के होने से भी अच्छा फल नहीं मिलता.

मंगल के खराब होने पर क्या होता है:-

मंगल हौसला और लड़ाई का प्रतीक है. यदि व्यक्ति डरपोक है तो मंगल खराब है.

बहुत ज्यादा अशुभ हो तो बड़े भाई के नहीं होने की संभावना प्रबल मानी गई है.

भाई हो तो उनसे दुश्मनी होती है.

बच्चे पैदा करने में अड़चनें आती हैं. पैदा होते ही उनकी मौत हो जाती है.

व्यक्ति हर समय झगड़ता रहता है.

*थाने या जेल में रातें गुजारना पड़ती हैं.

मंगल यदि शुभ है, तो कैसा होगा व्यक्ति:-

मंगल शुभ की निशानी:-

मंगल सेनापति स्वभाव का है. शुभ हो तो साहसी, शस्त्रधारी व सैन्य अधिकारी बनता है या किसी कंपनी में लीडर या फिर श्रेष्ठ नेता. मंगल अच्छाई पर चलने वाला है ग्रह है किंतु मंगल को बुराई की ओर जाने की प्रेरणा मिलती है, तो यह पीछे नहीं हटता और यही उसके अशुभ होने का कारण है. सूर्य और बुध मिलकर शुभ मंगल बन जाते हैं. 10 वें भाव में मंगल का होना अच्छा माना गया है.

मंगल देता ये बीमारी:-

नेत्र रोग.

उच्च रक्तचाप.

वात रोग.

गठिया रोग.

फोड़े-फुंसी होते हैं.

जख्मी या चोट.

बार-बार बुखार आता रहता है.

शरीर में कंपन होता रहता है.

गुर्दे में पथरी हो जाती है.

आदमी की शारीरिक ताकत कम हो जाती है.

एक आंख से दिखना बंद हो सकता है.

शरीर के जोड़ काम नहीं करते हैं.

मंगल से रक्त संबंधी बीमारी होती है. रक्त की कमी या अशुद्धि हो जाती है.

बच्चे पैदा करने में तकलीफ. हो भी जाते हैं तो बच्चे जन्म होकर मर जाते हैं.

कैसे बनाएं मंगल को सुख और समृद्धि देने वाला:-

हनुमानजी की भक्ति करें. हनुमान चालीसा, बजरंग बाण आदि पढ़ें.

मंगल खराब की स्थिति में सफेद रंग का सूरमा आंखों में डालना चाहिए.

गुड़ खाना चाहिए.

भाई और मित्रों से संबंध अच्छे रखना चाहिए. क्रोध न करें.

लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर शयन कक्ष में रखें.

बंधुजनों को मिष्‍ठान्न का सेवन कराएं.

बंदरों को गुड़ और चने खिलाना चाहिए.

गाय को चारा व जल पिलाकर सेवा करें.

गाय पर लाल वस्त्र ओढ़ाएं.

मंगल से पीड़ित व्यक्ति ज्यादा क्रोध न करें.

अपने आप पर नियंत्रण रखें, आपा न खोएं.

किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं दिखाएं.

किसी भी प्रकार के व्यसनों में लिप्त नहीं होना चाहिए.

तांबा, गेहूं एवं गुड़, लाल कपड़ा और माचिस का दान करें.

तंदूर की मीठी रोटी दान करें.

बहते पानी में रेवड़ी व बताशा बहाएं.

मसूर की दाल दान में दें.

हनुमान मंदिर में ध्वजा और चले दान करें.

नोट:- यदि कोई ज्यादा बीमार है. तो तुरन्त हनुमान बाहुक के पाठ प्रारम्भ कराए तत्काल लाभ मिलना प्रारम्भ हो जाएगा, और बहुत जल्द पूर्ण स्वास्थ हो जाएगए,

नोट:- इनमें से कुछ उपाय विपरीत फल देने वाले भी हो सकते हैं. कुंडली की पूरी जांच किए बगैर उपाय नहीं करना चाहिए. किसी ज्योतिष विशेषज्ञ को कुंडली दिखाकर ही ये उपाय करें.

किसी भी प्रकार की समस्या समाधान के लिए आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया (ज्योतिष विशेषज्ञ) जी से सीधे संपर्क करें - 9131366453

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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