प्रदीप द्विवेदी. आजादी के बाद केंद्र सरकारों की मनमानी के खिलाफ जितने भी बड़े आंदोलन हुए हैं, उनकी कामयाबी में संघ का सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
आपातकाल के बाद जनता पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचाने में संघ का खास योगदान रहा, तो केंद्र में जितनी भी गैर-कांग्रेसी सरकारें बनी उनका आधार संघ ही रहा, लेकिन इस बार संघ की खामोशी आश्चर्यजनक है.
वैसे तो, पहले कार्यकाल के बाद ही पीएम मोदी की सत्ता से विदाई हो जाती, यदि संघ का सशक्त आधार नहीं मिला होता, परन्तु अब यह एकदम साफ हो गया है कि नरेंद्र मोदी न केवल बतौर पीएम असफल साबित हुए हैं, बल्कि संघ के सिद्धांतों को भी किनारे कर चुके हैं, क्या संघ इन कार्यों से सहमत है?
एक- मोदी आत्ममुग्ध नेता हैं और अपना एकाधिकार कायम करने के लिए संघ के तैयार किए गए, अटल सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे तमाम प्रमुख और वरिष्ठ नेताओं को या तो सियासी संन्यास आश्रम में भेज चुके हैं या फिर बीजेपी से बाहर हैं.
दो- अटल सरकार तक प्रभावी नीति- सिद्धांत पहले, सत्ता बाद में, को बदल कर मोदी ने सत्ता पहले, सिद्धांत कभी नहीं, कर दिया है, यही वजह है कि कभी सत्तर प्रतिशत से ज्यादा नेता संघ की पृष्ठभूमि से थे, अब कितने हैं?
तीन- सत्ता हासिल करने के लिए गैर-भाजपाई दलों के भ्रष्टों को भी बीजेपी में सम्मानजनक जगह दे दी गई है, जिसके कारण बीजेपी के मूल कार्यकर्ताओं के समक्ष प्रश्नचिन्ह है?
चार- गौहत्या को लेकर मोदी सरकार कोई कानून क्यों नहीं बना रही है?
पांच- स्वदेशी आंदोलन की जो हालत की है, वह सबके सामने है!
याद रहे, यह सभी महसूस कर रहे हैं, लिहाजा मोदी के मन की बात सुनने के बजाए, जनता के मन की बात जानी जाए तो सारी तस्वीर साफ हो जाएगी.
उल्लेखनीय है कि दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी में अपना भरोसा जताते हुए, उन्हें कोविड मैनेजमेंट की जिम्मेदारी देने की मांग की है.
स्वामी ने ट्विटर पर कहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से कोविड के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की उम्मीद नहीं की जा सकती है. स्वामी की इस राय पर असंख्य लोगों का समर्थन प्राप्त हो रहा है और ट्विटर पर इसकी खासी चर्चा है.
आजादी के समय तक संघ और सेवादल के संगठन एक जैसे थे, लेकिन कांग्रेस की सत्ता ने सेवादल की क्या हालत कर दी है, यह कोई भी बता सकता है.
अभी भी समय है, संघ को हस्तक्षेप करके देश का नेतृत्व नितिन गडकरी जैसे सुलझे हुए नेता को सौंपने की पहल करनी चाहिए, वरना मोदी जिस तरह की मनमानी कर रहे हैं, संघ को सेवादल बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-पीएम मोदी की बड़ी बैठक: राज्यों में दवाईयों की उपलब्धता पर भी की गई समीक्षा
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