नजरिया. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो लगता है कि बीजेपी को तगड़ा नुकसान हुआ है.
खबरें हैं कि उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत की कुल 3 हजार 50 सीटों पर चुनाव हुआ था, जिनमें 1000 से ज्यादा सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों की जीत हुई. साढ़े आठ सौ से ज्यादा सीटों पर समाजवादी पार्टी की, तो बीजेपी समर्थित छह सौ से ज्यादा उम्मीदवारों की जीत हुई, जबकि बीएसपी ने जिन उम्मीदवारों को समर्थन दिया था, उनमें से तीन सौ से ज्यादा चुनाव जीते हैं. कांग्रेस समर्थित 65 से ज्यादा उम्मीदवारों को जीत मिली है.
खास बात यह है कि अयोध्या, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर और मथुरा में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को पछाड़ दिया है. ये वही जिले हैं, जहां बीजेपी का काफी दबदबा माना जाता है, इतना ही नहीं, पीएम मोदी स्वयं वाराणसी से सांसद हैं, वहां भी बीजेपी हार गई है.
ये नतीजे इसलिए खास हैं क्योंकि वर्ष 2022 में, मतलब- अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
इन नतीजों के वैसे तो कई संकेत हैं, लेकिन दो तथ्य महत्वपूर्ण हैं, एक- विपक्ष बिखरा है, इसके बावजूद बीजेपी हार गई, और दो- आमतौर पर ऐसे चुनाव में सत्ताधारी दल की जीत होती है, किन्तु यूपी में तो बीजेपी जीत नहीं पाई है.
याद रहे, एकतरफा मीडिया प्रचार तो खूब कर सकता है, लेकिन जीत नहीं दिला सकता है, चाहे बंगाल हो या उत्तर प्रदेश!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-यूपी: प्रतिबंध के बावजूद पंचायत चुनाव जीतने पर निकाली रैली, बजाया देश विरोधी गाना
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