अब सिटी अस्पताल के खिलाफ शुरु हो गया शिकायतों का दौर, जिनकी मौत हुई उनके परिजन पहुंच रहे थाना

अब सिटी अस्पताल के खिलाफ शुरु हो गया शिकायतों का दौर, जिनकी मौत हुई उनके परिजन पहुंच रहे थाना

प्रेषित समय :18:45:53 PM / Thu, May 13th, 2021

लपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश के जबलपुर में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले पकड़े गए सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत मोखा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है, एक तरफ नरसिंहपुर से विधायक जालमसिंह पटैल ने कहा है कि कौन है मोखा का साइलेंट पार्टनर, अस्पताल में कितने मरीज भरती हुए, उनसे कितने रुपए लिए गए, कितने लोगों की मौत हुई है, सबकी जांच की मांग करते हुए संभागीय कमिश्रर को पत्र लिखा है.  वहीं दूसरी ओर सिटी अस्पताल में कोरोना से हुई मौत को लेकर परिजन भी थाना ओमती पहुंच रहे है, जिनका आरोप है कि उनके  घर के सदस्य को भी नकली इंजेक्शन लगाए गए है जिससे मौत हुई है. 

                             बताया जाता है कि सिटी अस्पताल में कोरोना संकटकाल के दौरान कई लोगों कोरोना संक्रमण के कारण भरती किए गए, जिसमें कई स्वस्थ हुए है तो कई की मौत हो गई, पहले तो लोगों ने इसे सामान्य रुप में लिया, लेकिन जैसे ही मोखा का नाम नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के मामले आया और उनपर प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारियों का दौर शुरु हो गया तो उन लोगों के जख्म फिर हरे हो गए, जिनके परिवार के सदस्य की सिटी अस्पताल में उपचार के दौरान मौत हो गई.  ऐसे लोगों ने भी अब पुलिस अधिकारियों को शिकायतें देना शुरु कर दिया है, कि नकली इंजेक्शन दिए जाने से उनके परिवार के सदस्य की मौत हुई है, मामले की जांच कराई जाए.  इस तरह की शिकायतों का सिलसिला धीरे धीरे बढ़ता ही जा रहा है, ओमती थाना में शिकायत लेकर लोग आ रहे है, जिनका आरोप है कि आठ से दस लाख रुपए तक इलाज के नाम पर लिए गए, इसके बाद परिवार के सदस्य की मौत हो गई. 

विधायक जालमसिंह पटैल ने कहा, मोखा का साइलेंट पार्टनर कौन-

वहीं सरबजीत मोखा के पकड़े जाने के बाद नरसिंहपुर से विधायक जालमसिंह पटैल ने भी संभागीय कमिश्रर को एक पत्र लिखते हुए कहा मोखा का राजनैतिक साइलेंट पार्टनर कौन है, अभी तक यहां पर कितने मरीज भरती हुए है, उनके कितना रुपया लिया गया है, कितने लोगों की मौत हुई है, इन सारी बातों की जांच कराई जाए, उन्होने यह भी आरोप लगाया है कि मोखा के कई साइलेंट पार्टनर है जो इस तरह के अपराध करने के लिए मोखा को ताकत देते रहे, अभी भी मोखा को बचाने के लिए हर संभव कोशिशे की जाएगी. 

पुलिस भी दिखा रही दरियादिली-

इस मामले में यह चर्चा भी है कि पुलिस अधिकारी भी मोखा के प्रति अपनी दरियादिली दिखा रहे है, यह तो अच्छा है कि आईजी व एसपी स्तर के अधिकारियों द्वारा पूरे मामले की मानिटिरिंग की जा रही है नहीं तो संभाग स्तर के अधिकारी तो मोखा के प्रति पूरी सहानुभूति दिखा रहे थे, उन्होने अपनी तरफ से मोखा थाना से लेकर जेल ले जाने तक हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई, यहां पर उनके साथ एक शाही मेहमान जैसा सलूक किया गया, श्री, श्रीमान, सर, भाईसाहब जैसे शब्दों से संबोधित किया जा रहा था.  पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी यदि मामले से नजर हटा ले तो उसे संभाग स्तर के अधिकारी बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगें. 

 न तो रिमांड लिया गया, एनएसए की कार्यवाही सिर्फ 3 माह के लिए-

चर्चाओं का दौर तो उसकी वक्त से शुरु हो गया था कि इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के मामले में न्यू लाइफ केयर अस्पताल के कर्मचारियों पर 6 माह तक के लिए एनएसए की कार्यवाही की गई, यहां मोखा पर नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के मामले में पकड़ा गया तो उसपर सिर्फ 3 माह के एनएसए की कार्यवाही कर दरियादिली दिखाई गई है, यहां तक कि इतने बड़े मामले में पूछताछ के लिए रिमांड तक नहीं लिया गया.  यह सबकुछ पुलिस के थाना संभाग स्तर पर अधिकारियों की सांठगांठ के चलते हुआ है.  अब लोगों का यही कहना है कि आईजी व एसपी स्तर के अधिकारी ही मामले में जांच को सही दिशा में ले जाए तो बेहतर होगा.  
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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