नजरिया. न्यूज चैनलों पर इन दिनों पंजाब, राजस्थान आदि राज्यों में कांग्रेस की सियासी रस्साकशी को लेकर चर्चाएं जोरों पर है, लेकिन इस मामले में बीजेपी भी कम नहीं है.
खबरों की माने तो जनवरी 2020 में बीजेपी की कमान संभालने वाले जेपी नड्डा के कार्यकाल का ये सबसे चुनौतीपूर्ण समय है.
उनके अध्यक्ष बनने के बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव में तो बीजेपी की शर्मनाक हार हुई ही, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी भारी सियासी बेइज्जती हुई.
किसान आंदोलन ने पंजाब में बीजेपी का आधार ही साफ कर दिया है, हरियाणा में सियासी संकट के बादल छा रहे हैं, तो यूपी पंचायत चुनाव में इसका असर भी नजर आ गया है.
पश्चिम बंगाल के चुनावी नतीजों के बाद बीजेपी समझ नहीं पा रही हैै कि अगला यूपी विधानसभा चुनाव मोदी के नाम पर लड़ा जाए या योेगी के नाम पर?
याद रहे, अंदरूनी कलह के बाद बीजेपी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदल चुकी है, तो हिमाचल प्रदेश में भी नेतृत्व बदलने की सियासी चर्चाएं खूब चली, जबकि कर्नाटक में नेताओं की बयानबाजी के बाद सीएम बीएस येदियुरप्पा को कहना पड़ा कि यदि पार्टी चाहेगी तो वो पद से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं.
जाहिर है, सियासी नजरिए से बीजेपी की हालत कांग्रेस से बहुत ज्यादा खराब है, यदि विधानसभा चुनाव में यूपी भी हाथ से निकल गया, तो मोदी सरकार की भी उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के रोहिंग्या शिविर में लगी भीषण आग, जलकर खाक हुई 53 झोपडिय़ां
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