प्रदीप द्विवेदी. श्रीराम मंदिर आंदोलन में लालकृष्ण आडवाणी ने- जय श्रीराम, को धार्मिक सम्मान दिलाया, लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी टीम ने उसे सीएम ममता बनर्जी को चिढ़ाने वाले सियासी नारे में बदल दिया?
इस दौरान सीएम ममता बनर्जी को हिन्दू विरोधी दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन जब ममता बनर्जी ने स्वयं को ब्राह्मण बताते हुए चुनावी मंच से चंडी पाठ किया, तो हिन्दू होने का दम भरने वालों की हवा निकल गई!
हालत यह हुई कि इतनी बड़ी मोदी टीम में से जवाब में चंडीपाठ करने कोई बड़ा नेता आगे नहीं आया, मोदी-शाह से तोे खैर उम्मीद नहीं की जा सकती है, लेेकिन संबित पात्रा तो देख कर भी ठीक से पढ़ नहीं पाए!
मजेदार बात यह है कि बंगाल में धर्म का सियासी दुरुपयोग भी काम नहीं आया और मोदी टीम को वहां हार नसीब हुई.
खबर है कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या धाम में राम मंदिर निर्माण का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, 2024 में ही लोकसभा के चुनाव भी होने हैं, जाहिर है, अगले लोकसभा चुनाव में भी धर्म का सियासी सहारा लिया जाएगा?
अभी-अभी चौंकाने वाली खबर आई है कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट पर राम मंदिर के लिए जमीन खरीदने में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए है.
समाजवादी पार्टी ने अयोध्या में, तो आम आदमी पार्टी ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने, जो जमीन कुछ समय पहले केवल दो करोड़ रुपये में बिकी थी, उसी जमीन को कुछ समय बाद 18.5 करोड़ रुपये में खरीद कर बड़ा घपला किया है.
इस पर चंपत राय का कहना है कि- हम इन आरोपों की कोई चिंता नहीं करते.
उधर, हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. उन्होंने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर इस मामले में आरोप गलत निकले तो मानहानि का दावा उन पर करेंगे!
सियासी सयानों का मानना है कि इस बार यूपी विधानसभा चुनाव में भी श्रीराम मंदिर प्रमुख रूप से चर्चा में रहेगा और यह भी तय है कि जो भी श्रीराम के नाम का सियासी दुरुपयोग करेगा, उसे राजनीतिक झटका भी जरूर लगेगा?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली के रोहिंग्या शिविर में लगी भीषण आग, जलकर खाक हुई 53 झोपडिय़ां
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