सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा- कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख मुआवजा देना संभव नहीं

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा- कोरोना से मरने वालों के परिजनों को 4 लाख मुआवजा देना संभव नहीं

प्रेषित समय :10:49:35 AM / Sun, Jun 20th, 2021

नई दिल्ली. कोरोना से जान गंवाने वालों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका का केंद्र सरकार ने जवाब दिया है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कोरोना से जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि इससे आपदा राहत कोष ही खाली हो जाएगा. केंद्र ने कहा कि सभी कोरोना पीड़ितों को मुआवजा देना राज्यों के वित्तीय सामर्थ्य  से बाहर है.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें केंद्र और राज्यों को आपदा प्रबंधन अधिनियम- 2005 के तहत कोरोना के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है. याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा कि आपदा प्रबंधन कानून में मुआवजे का प्रावधान केवल भूकंप, बाढ़ आदि प्राकृतिक आपदाओं पर ही लागू है, जिसे कोरोना महामारी पर लागू नहीं किया जा सकता है.

स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, महामारी की शुरुआत के बाद से भारत में अब तक कोरोना से लगभग 4 लाख लोगों की मौत हो चुकी है. केंद्र सरकार ने कहा, “अगर कोरोना के कारण जान गंवाने वाले हर एक व्यक्ति के परिवार को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाती है, तो SDRF (राज्य सरकार के पास उपलब्ध प्राइमरी फंड, जो अधिसूचित आपदाओं की स्थिति में तुरंत राहत देने के लिए खर्च करने में काम आती है) का पूरा फंड अकेले इसी मद पर खर्च हो सकता है और वास्तव में कुल खर्च और भी बढ़ सकता है.”

‘अन्य आपदाओं के लिए होगी धन की कमी’

केंद्र ने कहा, “अगर पूरे SDRF फंड को कोविड पीड़ितों को मुआवजा देने में ही खर्च कर दिया जाएगा, तो राज्यों के पास कोरोना से निपटने के लिए की जा रहीं तैयारियों और अलग-अलग मेडिकल सप्लाई के साथ-साथ चक्रवात, बाढ़ आदि जैसी अन्य आपदाओं की देखभाल के लिए पर्याप्त धन की कमी हो सकती है. इसलिए कोविड के कारण सभी मृतक व्यक्तियों को अनुग्रह राशि के भुगतान के लिए याचिकाकर्ता की प्रार्थना, राज्य सरकारों की वित्तीय सामर्थ्य से बाहर है.”

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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