नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की ऑक्सीजन ऑडिट पैनल ने कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन प्रबंधन के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की सराहना की है. 12 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स ने रिपोर्ट में कहा कि भारत सरकार ने जब देश में महामारी की पहली लहर आई थी तब पिछले साल मार्च-अप्रैल 2020 में कई कदम उठाए थे. पैनल ने कहा कि पिछले साल महामारी की पहली लहर के दौरान उठाए गए कदमों की मदद से ही देश में दूसरी लहर आने पर ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सिस्टम को तुरंत बनाने में बहुत मदद मिली.
पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली लहर के दौरान भारत सरकार ने लिक्विड ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ अस्पतालों में और सिलेंडर के जरिए लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की स्टोरेज कैपसिटी बढ़ाने के लिए कदम उठाए थे. पहली लहर के दौरान उठाए गए कदमों की मदद से निजी क्षेत्र में मैन्यूफैक्चरर्स बढ़ाने के लिए सिस्टम को जल्दी से स्थापित करने में मदद की.
वहीं इस्पात संयंत्रों में उपलब्ध ऑक्सीजन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ाने में मदद की. पिछले साल सितंबर में की गई नीतिगत कार्रवाई के आधार पर इलाज में इस्तेमाल के लिए सिलेंडर, अस्पतालों में उपलब्ध एलएमओ स्टोरेज कैपसिटी का उपयोग,आईएसओ कंटेनरों का आयात किया गया और घरेलू आवाजाही में उनका इस्तेमाल किया गया.
सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने कहा कि पहली लहर के दौरान सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में औद्योगिक गैस निर्माताओं को मेडिकल ऑक्सीजन बनाने के लिए लाइसेंस जारी करना, अधिकार प्राप्त समूह के निर्देश पर लिक्विड ऑक्सीजन के निर्माताओं ने उत्पादन में वृद्धि करना, यूपी स्थित मोदीनगर और महाराष्ट्र स्थित पुणे में नई एलएमओ इकाइयां शुरू करना. इसके साथ स्टील प्लांट में उपलब्ध लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल मेडिकल ऑक्सीजन के लिए करना शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2021 में दूसरी लहर आने पर ऑक्सीजन की मांग में भारी वृद्धि हुई. रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2021 के तीसरे हफ्ते तक ऑक्सीजन की मांग औसतन 5500 मीट्रिक टन तक पहुंच गई और अप्रैल 2021 के चौथे हफ्ते में दैनिक औसत खपत बढ़कर 7100 एमटी हो गई. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ऑक्सीजन की खपत 9 मई 2021 को प्रतिदिन 8943 मीट्रिक टन तक पहुंच गई.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 से मौत पर परिवार को चार लाख रुपये मुआवजा के मामले में फैसला सुरक्षित रखा
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