यौन शोषण के दर्द से टूटीं गौहर जान को मिली थी संगीत से हिम्मत

यौन शोषण के दर्द से टूटीं गौहर जान को मिली थी संगीत से हिम्मत

प्रेषित समय :10:59:06 AM / Sat, Jun 26th, 2021

पहले के जमाने में तवायफों को उनके संगीत, गायिकी और नृत्य के दम पर परखा जाता था, न कि उनके रंग रूप या जाति से. आज हम ऐसी है एक नामी हस्ती के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जो एक दौर में मशहूर तवायफ तो थी हीं, लेकिन 19वीं सदी तक आते-आते वह गायिकी की वो क्वीन बन गईं, जिन्हें भारत की पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार के नाम से पहचाना जाने लगा. हम बात कर रहे हैं- नामी गायिका और डांसर गौहर जान की.

भले ही गौहर जान एक तवायफ रहीं, लेकिन एक कलाकार के तौर पर उनका बहुत मान-सम्मान होता था. गौहर जान का ठुमरी और खयाल गायिकी में कोई तोड़ नहीं था. कहा जाता है कि गौहर जान 19वीं सदी की सबसे महंगी तवायफ थीं. 

गौहर का जन्म 26 जून, 1873 को आजमगढ़ में हुआ था. गौहर के जन्म का नाम एंजेलिना योवर्ड था. वह एक अर्मेनियन ज्यू थीं. उनके पिता का नाम विलियम रोबर्ट योवर्ड था, जबकि मां का नाम विक्टोरिया हेमिंग्स था. विक्टोरिया हेमिंग्स का जन्म भारत में ही हुआ था और वह यहीं पढ़ी-लिखी थीं. गौहर जान, विलियम और विक्टोरिया की इकलौती संतान थीं.

गौहर जान की जिंदगी बचपन से ही दुखों में कटी. जब वह 6 साल की थीं, तब उनके माता-पिता अलग हो गए. गौहर उस समय बच्ची ही थीं, लेकिन रोज होते माता-पिता के झगड़ें उन्हें परेशान करते थे. कहा जाता है कि गौहर की मां विक्टोरिया का विलियम के दोस्त खुर्शीद के साथ अफेयर था. दोनों के अलग होने की यही वजह बताई जाती है. विलियम से अलग होने के बाद विक्टोरिया ने इस्लाम अपना लिया. इस्लाम धर्म अपनाने के बाद वह मलका जान कहलाई जाने लगीं और बेटी बन गई गौहर जान.

विक्टोरिया, बनारस की नामचीन कथक डांसर और गायिका थीं. संगीत के गुर गौहर जान को मां से ही मिले थे. बनारस के बाद विक्टोरिया बेटी गौहर को लेकर कलकत्ता चली आईं. यहां गौहर ने हिंदुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक की शिक्षा ली.  

13 साल की उम्र में हुआ रेप

लेखक विक्रम संपत ने गौहर जान पर एक किताब लिखी, जिसमें गौहर जान से जुड़ा हुआ एक बेहद चौंकाने वाले खुलासा किया गया. इसमें बताया गया कि गौहर जान जब महज 13 वर्ष की थीं, तब उनके साथ रेप जैसी घिनौनी वारदात को अंजाम दिया गया.

इस घटना ने गौहर जान को तोड़ दे दिया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत कभी नहीं हारी थी. एक संगीत ही ऐसी चीज थी, जिसने गौहर जान को इस दर्द से उभरने में मदद की. संगीत ने उन्हें इतना मजबूत बनाया कि वह देश-दुनिया में अपनी पहचान बना बैठीं. 15 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली सार्वजनिक परफॉर्मेंस दी. 1887 में उन्होंने दरभंगा राजा के सामने अपनी कला पेश की थी. राजा को गौहर जान का नृत्य और गायिकी इतने पसंद आए कि उन्होंने उन्हें अपने राजघराने में ही जगह दे दी. इसके बाद वह बनारस और कलकत्ता में रहीं और वहां कई महिलाओं को कला के क्षेत्र में निपुण किया.

2 नवंबर, 1902. इसी दिन भारत में पहला गीत और संगीत रिकॉर्ड हुआ. यह रिकॉर्डिंग की थी गौहर जान ने. गौहर जान ने खयाल गाया था. भारत में रिकॉर्डिंग इंडस्ट्री स्थापित हुई तो गौहर जान को घर-घर में सुना जाने लगा था. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में 600 से भी ज्यादा गाने रिकॉर्ड किए थे. उनकी आवाज घर-घर तक पहुंची, तो वे लोग भी उनके दीवाने हो गए, जिन्होंने गौहर जान को पहले कभी नहीं सुना था. अपनी जिंदगी में कई खुशियों के साथ-साथ दुख झेलने वाली भारत की पहली रिकॉर्डिंग क्वीन ने 17 जनवरी, 1930 में दुनिया को अलविदा कह दिया था.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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