श्रीनगर. जम्मू और कश्मीर में अगले साल चुनाव की खबरों के बीच सरकार राज्य के दूरदराज इलाकों तक पहुंचने की कोशिश में है. मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार हर हफ्ते चार केंद्रीय मंत्रियों को राज्य का दौरा करने के लिए भेजेगी. इसका मकसद दूर-दराज के क्षेत्रों पर ध्यान देने और जमीन पर लोगों से बातचीत करना होगा ताकि उनकी शिकायतों को दूर किया जा सके. 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के बाद यह प्रक्रिया शुरू होगी. इससे पहले जनवरी 2020 में 36 केंद्रीय मंत्रियों ने राज्य भर में लगभग पांच दर्जन जगहों का दौरा किया था.
अनुच्छेद 370 और 35ए रद्द करने के बाद करीब 5 महीने के बाद हुए दौरे में मंत्रियों से कहा गया था कि वह अनुच्छेद के प्रावधानों को निरस्त करने के 'सकारात्मक प्रभाव' के बारे में जागरूक करें. साथ ही लोगों को सरकार के विकास कार्य के बारे में जानकारी दें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने वापस करने पर विचार कर रहे हैं. अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द होने के बाद कश्मीर घाटी में सुरक्षा स्थिति नियंत्रण में है; पिछले 2 साल के दौरान कश्मीर में जिला विकास परिषदों के चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए; हिरासत में लिए गए कश्मीर के राजनीतिक नेता फिर से राजनीति में आ गए हैं और पाकिस्तान के साथ युद्ध विराम एक बार फिर शुरू हो गया है.
हाल ही में महबूबा मुफ्ती, फारूक अब्दुल्ला सहित जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक नेताओं के साथ एक बैठक में पीएम मोदी ने घाटी में राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए ब्लूप्रिंट पर चर्चा की.सूत्रों ने बताया कि सरकार जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने पर विचार कर रही है लेकिन इस कदम के लिए परिसीमन आयोग की रिपोर्ट का इंतजार है.
सूत्रों ने कहा कि फिलहाल लद्दाख की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. सरकारी सूत्रों ने कहा कि पीएम पार्टियों को यह भी आश्वासन देंगे कि साल 2018 से लंबित क्षेत्र में चुनाव जल्द ही कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रीय दल चुनाव प्रक्रिया में भाग लेंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जम्मू-कश्मीर: बांदीपोरा में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी गिरफ्तार, हथियार और गोला-बारूद बरामद
अगले साल तक जम्मू-कश्मीर में करा सकते हैं इलेक्शन: चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा
Leave a Reply