पूजा घर कभी भी धातु का ना हो, यह लकड़ी, पत्थर और संगमरमर का होना शुभ माना जाता है.
*पूजा का कमरा खुला और बड़ा होना चाहिए. पूजा घर को सीढ़ियों के नीचे बिलकुल भी नहीं बनवाना चाहिए. यह हमेशा ग्राउंड फ्लोर पर होना ही श्रेष्ठ माना गया है , इसे कभी भी तहखाने में भी नहीं बनाना चाहिए .
*पूजा घर कभी भी शयन कक्ष में नहीं बनाना चाहिए लेकिन यदि स्थानाभाव के कारण बनाना भी पड़े तो पूजा स्थल में पर्दा अवश्य ही होना चाहिए . दोपहर और रात में पूजास्थल को परदे से अवश्य ही ढक दें .*
*पूजाघर में मूर्तियां कभी भी प्रवेश द्वार के सम्मुख नहीं होनी चाहिए .
*पूजाघर में बड़ी, वजनी और प्राण प्रतिष्ठित मूर्तियाँ नहीं रखनी चाहिए . घर के मंदिर में क़म वजन की मूर्तियाँ और तस्वीरें ही रखनी चाहिए. इन्हें दीवार से कुछ दूरी पर रखना चाहिए दीवार से टिका कर नहीं .
*पूजाघर में देवताओं की मूर्तियां / तस्वीरें एक दूसरे के सामने चाहिए अर्थात देवताओं की दृष्टि एक-दूसरे पर भी नहीं पड़नी चाहिए.
*पूजाघर में एक ही भगवान की कई सारी मूर्तियाँ एकसाथ नहीं रखनी चाहिए.
*पूजा घर में भगवान की मूर्तियों के साथ अपने पूर्वजों की तस्वीरें कतई नहीं रखनी चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-मासिक शिवरात्रि 8 जुलाई को, जानें तिथि, पूजा विधि और महत्व
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