प्रयागराज. शादीशुदा होने के बावजूद लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने पर कर्मचारी की बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुचित करार दिया है. हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि इस गलती के लिए सेवा से बर्खास्तगी कठोर दंड है, इसके लिए छोटा दंड दिया जा सकता है. इसके साथ हाईकोर्ट ने सरकारी नौकरी करने वाले शादीशुदा पुरुष के लिव-इन- रिलेशनशिप में रहने की वजह से नौकरी से बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है. हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बकाया वेतन के बगैर बहाल कर दिया है और विभाग को नियमानुसार कार्रवाई करने की छूट दी है. यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया की एकल पीठ ने गोरेलाल वर्मा की याचिका पर दिया है.
जानें क्या है पूरा मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के आधार पर किसी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने माना कि नौकरी से बर्खास्तगी की सजा बहुत कठोर है. यह उत्तर प्रदेश सरकार सेवक आचरण नियमावली 1956 के संदर्भ में अनुचित भी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याची को बर्खास्तगी की अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा. बता दें कि सरकारी कर्मचारी गोरेलाल पर आरोप है कि वह पत्नी लक्ष्मी देवी के जीवित रहते हुए हेमलता वर्मा नाम की महिला के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह रहने का दोषी पाया गया था. दोनों से 3 बच्चे भी हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तर प्रदेश के हाथरस में श्रद्धालुओं से भरी कार कैंटर से टकराई, तीन की मौत, सात अन्य घायल
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