टोक्यो. टोक्यो ओलंपिक की शुरुआत होने जा रही है. हालांकि इस दौरान खेलों से पहले जो चर्चा है, वो है खास तरह के बिस्तरों की. इन्हें एंटी-सेक्स बेड कहा जा रहा है. ये खिलाड़ियों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के मकसद से तैयार हुआ है. बता दें कि पहले हमेशा ओलंपिक खेलों के अलावा खुले यौन-संबंधों के लिए भी चर्चा में रहता आया था लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे से बचने के लिए आयोजकों ने नई ही पहल कर डाली. ओलंपिक के दौरान सबसे पहले अस्सी के दशक में जमकर सेक्स होने की बात आई थी. तब यौन रोगों से सुरक्षा के लिए खिलाड़ियों में कंडोम का वितरण भी हुआ था. इसके बाद से हर बार ओलंपिक में ये चर्चा भी रहने लगी कि इस बार आयोजकों ने कितने लाख कंडोम बांटे हैं. पिछली बार साल 2016 में रिओ ओलंपिक के दौरान आयोजक देश ब्राजील ने लगभग 90 लाख कंडोम बंटवाए थे.
किस कारण नई तरह के बेड बने?
अनुमान लगाना मुश्किल नहीं कि खेलों के दौरान खिलाड़ी और आम लोग एक-दूसरे के ज्यादा करीब आते हैं. ये बात अब तक तो ठीक थी लेकिन इस बार आयोजक नहीं चाहते कि ऐसा कुछ हो. यही कारण है कि खिलाड़ियों के लिए एंटी सेक्स बेड तैयार हुए हैं. ये कार्डबोर्ड के बने हुए हैं, जो औसत से ज्यादा वजन नहीं सह सकते. अगर दो लोग इस पर रहें तो बेड टूट जाएगा. बेड तैयार करने वाली कंपनी एयरवीव का दावा है कि उसने ये बेड पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाए. हालांकि बेड का हल्का होना ये साफ कर रहा है कि इसका मकसद केवल पर्यावरण नहीं. कंपनी ने लगभग 18 हजार ऐसे बेड तैयार करवाए जो ओलंपिक के दौरान खिलाड़ियों और टीम को दिए जाएंगे.
खेलों के खत्म होने के बाद ये बिस्तर कबाड़ नहीं बनेगें, बल्कि इन्हें कारखानों में भेजकर पेपर में बदल दिया जाएगा. इसके अलावा गद्दों से प्लास्टिक के उत्पाद तैयार होंगे.
कितना भार उठा सकते हैं बेड?
हर बिस्तर पर लगभग 200 किलो वजन उठा सकने की क्षमता है, बशर्तें उसपर एकाएक वजन न पड़े. या फिर ज्यादा हलचल न हो. वैसे तो इस फर्निचर की बात महामारी के इतनी तबाही मचाने से पहले भी हुई थी लेकिन अब कोरोना अपने पीक पर है. ऐसे में ओलंपिक में इनका इस्तेमाल सोशल डिस्टेंसिंग को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल हो सकता है. इसे ही लगातार एंटी-सेक्स बेड कहा जा रहा है.
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