नई दिल्ली. प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि भारत को म्यांमार में उभरती स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की जरूरत है, जहां फरवरी में सैन्य तख्तापलट के बाद देश पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए जाने के बाद चीन अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है. 'उत्तर पूर्व भारत में अवसर और चुनौतियां' विषय पर इंडियन मिलिट्री रिव्यू द्वारा नई दिल्ली में आयोजित एक वेबिनार में बोलते हुए जनरल रावत ने कहा, 'सड़क, रेल और ऊर्जा गलियारों के निर्माण के लिए चीन की बीआरआई (बेल्ट एंड रोड पहल) को म्यांमार पर प्रतिबंधों के साथ और अधिक गति से अपना काम करने का अवसर मिला है.'
देश के सबसे वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कहा कि म्यांमार में 'सामान्य स्थिति की वापसी' देश के साथ ही पूरे क्षेत्र, विशेष रूप से भारत के लिए अच्छा होगा क्योंकि म्यांमार से 'हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध' गहरे रूप से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, "भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र जो कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर या 'चिकन नेक' द्वारा देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है, का 'अत्यधिक भू-रणनीतिक महत्व' है, विशेष रूप से चीन की पृष्ठभूमि में जो क्षेत्र में 'शरारती रूप से नजरें गड़ाए हुए है."
रोहिंग्या शरणार्थियों की मौजूदगी क्षेत्र के लिए एक और 'चिंता का उभरता हुआ विषय' है. उन्होंने कहा, 'इसका इस्तेमाल कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा क्षेत्र में अशांति फैलाने और शांति व सुरक्षा को कमजोर करने के लिए किया जा सकता है.' चीन के अलावा, पूर्वोत्तर क्षेत्र में 'खुली' सीमाओं की वजह से विद्रोही गतिविधि, अवैध प्रवास और नशीली दवाओं की तस्करी जैसी भारत के लिए कई अन्य सुरक्षा चिंताएं हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-टीएमसी ने प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जवाहर सरकार को बनाया राज्यसभा उम्मीदवार
भारत में टेस्ला कारों की बिक्री पर एलन मस्क ने दिया बड़ा बयान
भारतीय फार्मा उद्योग 2030 तक 130 अरब डॉलर का होगा - रेड्डी
बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाव का क्षेत्र, उत्तर भारत में झमाझम बारिश के आसार
Leave a Reply