निर्वाचन आयोग नवम्बर माह तक करवा सकता है दो खाली सीटों के लिए उप चुनाव ?

निर्वाचन आयोग नवम्बर माह तक करवा सकता है दो खाली सीटों के लिए उप चुनाव ?

प्रेषित समय :08:08:54 AM / Mon, Jul 26th, 2021

नीति गोपेंद्र भट्ट. भारत निर्वाचन आयोग राजस्थान विधानसभा की दो खाली सीटों के लिए उप चुनावों के लिए शीघ्र ही तिथियों की घोषणा कर सकता है. यदि कतिपय कारणों से फिलहाल ऐसा नहीं होता है तो सामान्य परिस्थितियाँ रहने पर नवम्बर माह तक यह उप चुनाव हो सकते है.

देश और प्रदेश में कोविड-19 के  सुधरते हालातों और तीसरी लहर के आसन्न खतरे से पहले निर्वाचन आयोग इन उप चुनावों  को करवाना चाहेगा. इसमें जीतने वाले विधायकों का कार्यकाल  दिसंबर 2023  में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव तक यानी ढाई वर्ष तक रहेगा.

दुर्भाग्य से राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट के कद्दावर मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल (सुजानगढ़-चूरू) के अलावा  प्रदेश के चार विधायकों का कोरोना संक्रमण के कारण असामयिक निधन हो गया. इससे प्रदेश में उप चुनावों  की नौबत पैदा हुई. दिवंगत विधायकों में कांग्रेस के दो विधायक कैलाश त्रिवेदी (सहाड़ा-भीलवाड़ा) और गजेंद्र सिंह शक्तावत (वल्लभनगर-उदयपुर) तथा बीजेपी के भी दो विधायक श्रीमती किरण माहेश्वरी (राजसमन्द) और गोपाल लाल मीणा (धरियावद-प्रतापगढ़,उदयपुर संभाग ) का निधन हुआ है.  

राज्य की चार विधानसभा में से तीन विधानसभा क्षेत्रों में उप चुनाव हो गए है जिनमें दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा विजयी रहीं है. इन उप चुनाव परिणामों में सहानुभूति लहर की स्पष्ट छाप दिखाई दी और दिवंगत विधायकों के परिवारजन कैलाश त्रिवेदी (सहाड़ा-भीलवाड़ा) की पत्नी गायत्री देवी त्रिवेदी, श्रीमती किरण माहेश्वरी (राजसमंद) की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी और मास्टर भंवरलाल मेघवाल (सुजानगढ़-चूरू) के पुत्र मनोज मेघवाल विधायक चुने गए.

नियमानुसार भारत निर्वाचन आयोग  खाली सीटों पर  छह महीने में उप चुनाव कराता है लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना की असाधारण परिस्थितियों के बावजूद पिछले दिनों हुए पश्चिम बंगाल और चार अन्य राज्यों में हुए  विधानसभा चुनावों  की काफी निंदा हुई थी जिसकी वजह से निर्वाचन आयोग अबकी बार अतिरिक्त सावधानी बरत रहा लगता है.

हिसाब से  प्रदेश के उदयपुर जिले की वल्लभनगर रिक्त सीट पर छह माह में उपचुनाव होने चाहिए थे जिसका समय  इस माह जुलाई में पूरा हो रहा है . इस मध्य पिछले मई में उदयपुर संभाग के प्रतापगढ़ जिले की  धरियावद विधायक के निधन से एक और सीट खाली हो गई है. हालाँकि छह माह के हिसाब से यहाँ नवम्बर माह तक उप चुनाव होने चाहिए. लगता है कि चुनाव आयोग प्रदेश की दोनों खाली हुई सीटों पर एक साथ उप चुनाव करवा सकता है. देश के अन्य राज्यों में भी ऐसे उप चुनाव होने है. संभवतः इसलिए आयोग ने अभी तक चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं किया है. फिर निर्वाचन आयोग की प्राथमिकता अगले वर्ष उत्तर प्रदेश सहित कुछ अन्य प्रदेशों में विधानसभा चुनावों की तैयारियां करना है.

असल में उप चुनावों की तारीखों की घोषणा नई दिल्ली से भारत निर्वाचन आयोग करता है . राजस्थान की राजसमंद, सहाड़ा व सुजानगढ़ विधानसभा चुनावों की तारीख तय करते समय  वल्लभनगर का नाम नहीं आने से सभी को आश्चर्य हुआ था, जबकि जिला निर्वाचन विभाग उदयपुर ने सभी तैयारियां पूरी कर ली थी, लेकिन वल्लभनगर का नाम नहीं आने पर उदयपुर के निर्वाचन विभाग के अधिकारी व इस कार्य में जुटे कर्मचारी संशय में पड़ गए थे ? निर्वाचन कार्यालय से लेकर कलेक्ट्रेट में यह चर्चा थी कि वल्लभनगर में चुनाव कराने की घोषणा इस सूची में क्यों आई. भाजपा-कांग्रेस नेताओं ने भी जयपुर दिल्ली तक तक फोन किए. वल्लभनगर विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन 20 जनवरी 2021 को हुआ और उसे 6 महीने के अंदर-अंदर चुनाव कराए जाने थे.

अब राजस्थान के वल्लभनगर और धरियावद विधानसभा उप चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई है. कांग्रेस के दिवंगत विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के परिवारजन मुख्य रूप से उनकी पत्नी प्रीति इस सीट के प्रबल दावेदार है. कांग्रेस में शक्तावत परिवार के अलावा कई दावेदार है पर अभी खुलकर सामने नहीं आए है. दरअसल गजेंद्र सिंह शक्तावत  को सचिन पायलट ग्रुप का माना जाता था. जबकि गजेन्द्र सिंह के पिता दिवंगत गुलाब सिंह शक्तावत गहलोत के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री रहें और उनके विश्वस्त थे. वे मोहन लाल सुखाडिया, हरिदेव जोशी, शिव चरण माथुर, हीरालाल देवपुरा आदि लगभग सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

भाजपा के दावेदारों ने भी उप चुनाव के लिए अपने नाम आगे किए हैं. किसान मोर्चा अध्यक्ष धनराज अहीर, भाजपा नेता आकाश वागरेचा, डेयरी चेयरमैन डा. गीता पटेल, कानोड़ से महावीर दक, विधानसभा प्रभारी व पूर्व प्रत्याशी उदयलाल डांगी कानोड़ से पूर्व पालिकाध्यक्ष अनिल शर्मा आदि ने बैठक कर रणनीति तैयार की है. वैसे वल्लभनगर में महावीर वया सहित अन्य कई कार्यकर्ता टिकट की दावेदारी कर रहे है.

इधर, भाजपा से अलग होकर जनता सेना दल बनाने वाले और पिछले से पिछला विधानसभा चुनाव जीतने वाले जनता सेना के नेता रणधीर सिंह भींडर कांग्रेस और भाजपा के अंतर्कलह में यह सीट निकालने के जुगाड़ में है. यहाँ से वे स्वयं अथवा उनकी पत्नी के चुनाव लड़ने की संभावना है. गजेन्द्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद हुए नगर निकायों के चुनाव में उनके दल को मिली विजय से वे बहुत उत्साहित है.

रणधीर सिंह भींडर विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता और मेवाड़ में भाजपा के कद्दावर नेता गुलाब चन्द कटारिया के घोर विरोधी है. इसी कारण उन्होंने भाजपा को तोड़ अपनी नई पार्टी जनता सेना का गठन किया और वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री काल में जनता सेना के विधायक भी रहें. रणधीर सिंह भींडर के रिश्ते वसुन्धरा राजे से बहुत घनिष्ठ हैं.

अब देखना होगा कि क्या गहलोत-पायलट तथा वसुंधरा-कटारिया  ग्रुप के मध्य चल रही खींचतान का फायदा उठाते हुए  रणधीर सिंह भींडर  की जनता सेना पार्टी वल्लभ नगर सीट पर एक बार फिर कब्जा जमाएगी? अथवा भाजपा और जनता सेना के टकराव में कांग्रेस पिछले चुनाव की तरह अपनी विजय को दोहरायेगी. इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित धरियावद सीट पर जीतने वाले दल के लिए दक्षिणी राजस्थान के गुजरात से सटे उदयपुर संभाग के आदिवासी वोटों पर अपनी जनाधार की ताकत को तोलने का अवसर मिलेगा !

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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