नजरिया. हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ और यूपी के न्यूज़ चैनल ‘भारत समाचार’ के ठिकानों पर आयकर विभाग की छापेमारी को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं, जो छापे के समर्थक हैं, वे आयकर चोरी का सवाल उठा रहे हैं, तो विरोधी इसे प्रेस की आवाज दबाने की कोशिश करार दे रहे हैं, लेकिन दोनों अर्धसत्य हैं.
यह सही है कि आयकर से संबंधित अनियमितताओं की जांच की जानी चाहिए, लेकिन यह गैर-इरादतन कार्रवाई होनी चाहिए, जबकि मीडिया हाउस पर की गई कार्रवाई, गैर-इरादतन संयोग नहीं, इरादतन प्रयोग है और यही वजह है कि बीजेपी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया है कि- प्रधानमंत्री कार्यालय ने पीएम को बड़ी गलत सलाह दी है. दैनिक भास्कर पर आयकर (आईटी) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापे अजीब वक्त में हुए. मुझे लगता है कि पीएमओ ने पीएम को बुरी तरह से सलाह दी है!
जाहिर है, कुछ समय से दैनिक भास्कर, कोरोनाकाल में मोदी सरकार की लापरवाही को लगातार खबरों में एक्सपोज कर रहा था, ऐसे समय पर छापा, गैर-इरादतन कैसे माना जा सकता है?
यही नहीं, यदि मोदी सरकार कर चोरी को लेकर इतना ही सतर्क है, तो इतने सालों से क्या कर रही थी? और.... उन उद्योगपति मित्रों और मीडिया हाउस पर छापे क्यों नहीं, जो सरकार के साथ खड़े हैं?
100% क्षमता से चलेगी दिल्ली मेट्रो और बस सर्विस, सिनेमा हॉल-मल्टीप्लेक्स के लिए जारी हुआ यह आदेश
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