मंगल को देवताओं का सेनापति माना जाता है. इसके कारक देव श्रीराम भक्त हनुमान माने गए हैं, वहीं सप्ताह में इसका दिन मंगलवार है. इस दिन श्री हनुमान के अलावा मां भगवती की पूजा का भी विधान है.
वैदिक ज्योतिष में मंगल एक क्रूर ग्रह है. मनुष्य जीवन के लिए यह बड़ा प्रभावकारी ग्रह है. मंगल दोष के कारण लोगों के विवाह में कठिनाई आती है. इसके हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों में इसका प्रभाव भिन्न होता है. वहीं मंगल का रत्न मूंगा जबकि रंग लाल माना जाता है.
स्वभाव: राशियों से संबंध
वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है. मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है. यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है. वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है. गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है. यदि किसी जातक का मंगल अच्छा हो तो वह स्वभाव से निडर और साहसी होगा तथा युद्ध में वह विजय प्राप्त करेगा. लेकिन यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में बैठा हो तो जातक को विविध क्षेत्रों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
ऐसे बनता है मांगलिक दोष
मांगलिक दोष मनुष्य जीवन के दांपत्य जीवन को प्रभावित करता है. मंगल दोष व्यक्ति के विवाह में देरी अथवा अन्य प्रकार की रुकावटों का कारण होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है. इसके प्रभावों को कम करने के लिए जातक को मंगल दोष के उपाय करने चाहिए.
कुंडली में ऐसे समझें मंगल का असर...
1. प्रथम भाव में स्थित मंगल का फल:
प्रथम भाव यानि लग्न भाव, ज्योतिष के अनुसार यह भाव जातक की शारीरिक बनावट के साथ ही उसके स्वभाव को भी दर्शाता है. इस भाव में स्थित मंगल ग्रह आपको अद्भुत साहसी बनाता है. आपका शारीरिक तौर पर भी काफी मजबूत होना दर्शाता है. आपको किसी भी प्रकार के दबाव रहना पसंद नहीं है. आपके चेहरे पर लालिमा रहेगी. आप एक मुखर व्यक्ति हैं, जो भी मन में आता है बोलने से नहीं चूकते. लेकिन ऐसी हालत में कभीकभी आपको दुस्साहसी होते हुए भी देखा जा सकता है. वहीं मंगल ग्रह की यह स्थिति कभीकभी सिर दर्द और दुर्घटनाएं भी करवाती है.आपकी मां का स्वभाव कुछ हद तक गुस्सैल और रूखा हो सकता है. लेकिन वो काफी सक्रिय और पदासीन हो सकती हैं. आपके बड़े भाईबहन भी पूरी तरह से व्यवस्थित होंगे लेकिन छोटे भाई बहनों से उनके सम्बंध खराब रह सकते हैं.
आपको आपके शत्रुओं से कुछ हद तक परेशानी रह सकती है. आपको हमेशा सच बोलने के लिए प्रयासरत रहना चाहिए. आपको अक्सर बुखार के कारण परेशानी रह सकती है. सेना, पुलिस, चिकित्सक या इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आप की अच्छी खासी रुचि होगी.
द्वितीय भाव में स्थित मंगल का फल;
द्वितीय भाव को संपत्ति भाव भी कहा जाता है. इस भाव में मंगल ग्रह की स्थिति बहुत कडी मेहनत के बाद सफलता देने की संकेत करती है. मंगल यह की यह स्थिति कभीकभी धन को बुरी आदतों और गलत माध्यमों के माध्यम से खर्च करने का संकेत भी करती है. आपके भीतर कभीकभी जरूरत से ज्यादा चिड़चिड़ापन देखने को मिलेगा अथवा आपकी वाणी कुछ कडवाहट लिए हुए हो सकती है.
आप अपने जन्म स्थान से दूर रह सकते हैं. पिता और बच्चों का स्वभाव गुस्सैल हो सकता है. आपके बच्चे काफी ऊर्जावान और बडे पदों को प्राप्त करने वाले हो सकते हैं. मंगल की यह स्थिति कभीकभी पारिवारिक असंतोष भी देती है. वहीं प्रथम पुत्र की पैदाइश के समय कुछ परेशानी हो सकती है.
मंगल की यह स्थिति जीवन साथी की आयु में भी प्रभावी होती है. आपके भाई या बहन को कभीकभार शत्रुओं से बड़ी परेशानी भी हो सकती है. आपकी माता जी अपने किसी जानकार के गलत परामर्श के कारण कोई जोखिम भरा निर्णय ले सकती हैं. आपको दुष्ट लोगों के साथ रहने में भी परेशानी नहीं होगी.
3. तृतीय भाव में स्थित मंगल का फल:
तृतीय भाव को पराक्रम व भाई बहनों का भाव भी कहते हैं. तीसरे भाव का मंगल आपको शूरवीर और प्रसिद्ध बनाएगा. आप धैर्यवान और साहसी व्यक्ति हैं. आप अपने बाहुबल से ऐश्वर्यवान बनेंगे. यह स्थिति भाइयों और विशेषकर छोटे भाइयों को कुछ कष्ट मिलने का भी संकेत करती है. हो सकता है कि छोटे भाई के साथ आपके संबंध बहुत अच्छे न रहें.
आप शारीरिक रूप से स्वस्थ्य और बुद्धिमान व्यक्ति हैं लेकिन मंगल ग्रह की यह स्थिति आपको कुछ हद तक कटुभाषी भी बना सकती है. मंगल ग्रह की यह स्थिति कभीकभी आपको, कानों या बाजुओं से सम्बंधित तकलीफें दे सकती है. आपको अपने क्रोध पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक होगा अन्यथा आप हिंसक हो सकते हैं.
आप कोई ऐसी नौकरी कर सकते हैं जहां अस्त्र शस्त्र धारण किए जाते हों. आपकी पिता का स्वभाव कुछ हद तक गुस्सैल और रूखा हो सकता है. उन्हें धनहानि और अलगाव का समना करना पड सकता है. हालांकि आपके पिता मुकदमेबाजी और शत्रुओं पर जीत हासिल करते रहेंगे. आपको पडोसियों या अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा कम सहयोग मिलेगा साथ ही इनके साथ आपका विवाद भी सम्भव है.
4. चतुर्थ भाव में स्थित मंगल का फल :
चतुर्थ भाव माता व सुख का भाव है. चौथे भाव का मंगल आपको वाहन सुख और संतान का सुख तो देगा लेकिन यही मंगल मातॄ सुख में कमी करेगा. आप विभिन्न माध्यमों से लाभ कमाते रहेंगे लेकिन आग से होगे वाले खतरों का भय आपको हमेशा रहेगा. आप अपनी जन्मभूमि या घर से दूर रह सकते हैं. आपका अपने कार्यक्षेत्र में बडी तरक्की करेंगे.
आपकी पैतृक सम्पत्ति खोने का भय भी मंगल की यह स्थिति निर्मित करती है. आप किसी कारण से हिंसक हो सकते हैं. शिक्षा प्राप्ति में भी आपको कुछ व्यवधानों का सामना करना पडेगा. आपको आपकी आशा के अनुरूप पारिवारिक मदद भी नहीं मिल पाएगी.
आपके प्रतिद्वंदी बड़े ही प्रसिद्ध व्यक्ति होंगे. आपके पिताजी को पारिवारिक जीवन में कुछ परेशानियां उठानी पड सकती है. यहां तक कि उन्हें अपने परिवार से अलग भी रहना पड सकता है साथ ही उन्हें आर्थिक हानि भी उठानी पड सकती है.
5. पंचम भाव में स्थित मंगल का फल :
पंचम भाव बुद्धि व पुत्र का भाव भी माना जाता है. पांचवे भाव में स्थित मंगल आपमें चंचलता देने के साथसाथ आपको बुद्धिमान बनाता है, लेकिन आपके स्वभाव में उग्रता जल्द ही आ जाती है. यह व्यसनी भी बनाता है. आप बुद्धिमान व्यक्ति हैं लेकिन कोईकोई निर्णय बिना विवेक के भी ले सकते हैं. आपका प्रथम पुत्र बहुत जल्द गुस्सा करने वाला होगा, उसे दुर्घटनाओं और चोट लगने का भय बना रहेगा. कोई संतान अवज्ञाकारी भी हो सकती है.
आप विपरीतलिंगी के प्रति अधिक आकर्षित हो सकते है, यदि आपने इस मामले में संयम से काम नहीं लिया तो आपकी बदनामी भी हो सकती है. छल कपट से दूर रहना भी आपके लिए हितकर होगा. ज्यादतियों और सट्टे बाजारी के शौक के कारण आपको घाटा भी उठाना पड सकता है. इन कारणों से आप तनावग्रस्त और आक्रामक हो सकते है.
आपको पेट से सम्बंधित परेशानियां भी समयसमय पर परेशान कर सकती है अत: खानपान पर संयम रखना जरूरी होगा. आप पेट की तकलीफों और कब्जजन्य रोगों से परेशान रह सकते हैं.
6. छ्टें भाव में स्थित मंगल का फल :
छ्टा भाव शत्रु व रोग का भाव माना जाता है. इस भाव में मंगल आपको अपने नौकरों से परेशानी देता है. वहीं आप अपने दुश्मनों को कुचलने की ताकत रखते हैं. आप बलवान व्यक्ति हैं. कई मामलों में आपका धैर्य प्रशंसनीय रहता है. कभीकभी आपके खर्चे जरूरत से ज्यादा हो सकते हैं.
यहां स्थिति मंगल के कारण आपको फोडे फुंसियों और जलने का भय बना रहता है. मंगल की यह स्थिति आपके मामा या मौसी को भी कुछ नकारात्मक परिणाम दे सकती है. अन्य ग्रहों की शुभता पाकर छठे भाव का मंगल आपके पिताजी को भी शक्तिशाली और प्रतिष्ठित बनाएगा. जिसके कारण आपके पिताजी किसी बडे पद पर पदासीन हो सकते हैं.
आप अपनी मेहनत से खूब कमाएंगे और अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति करेंगे. आप कुछ हद तक क्रोधी और तीक्ष्ण बुद्धि हो सकते हैं. लोकप्रियता पाने के चक्कर में और जानवरों के द्वारा आपको नुकसान हो सकता है.
आप एक विवेकवान व्यक्ति हैं. हो सकता है कि आप व्यवसाय की अपेक्षा नौकरी करने को अधिक वरीयता दें.
7. सप्तम भाव में स्थित मंगल का फल :
सप्तम भाव को विवाह भाव भी कहते हैं सातवें भाव में स्थित मंगल को अच्छे परिणाम देने वाला नहीं माना गया है. यहां स्थित मंगल आपके विवाह में देरी का कारण बनने के साथ ही आपके जीवनसाथी के दु:ख का कारण भी बन सकता है. मंगल की यह स्थिति कभीकभी अलगाव तक की स्थितियां निर्मित कर देती है.
मंगल की यह स्थिति कभीकभी ईर्ष्या की भावना भी देती है. मंगल की यह स्थिति बेचैनी और चिडचिडापन देने के साथसाथ तर्क और बहस करने वाला भी बना सकती है. आपको क्रोध जल्दी आ सकता है. आपकी वाणी कुछ हद तक कठोर हो सकती है. आपके बडे भाई बहनों का आपके पिता के साथ तनावपूर्ण संबंध रह सकता है.
सफलता के लिए आपको कडी मेहनत करनी पडेगी. मंगल की यह स्थिति आर्थिक लिहाज से भी ठीक नहीं मानी गई है. अत: आपका धन व्यर्थ के कामों में भी खर्च हो सकता है. आप वात रोग से तकलीफ पा सकते हैं. साथ ही आपको पेट से सम्बंधित कुछ तकलीफें रह सकती हैं.
8. अष्टम भाव में स्थित मंगल का फल :
अष्टम भाव को आयु भाव भी कहते हैं. इस भाव में मंगल की स्थिति बहुत अनुकूल परिणाम नहीं देती. यहां स्थित मंगल के कारण आपने अधिकांश मामलों में बाधाएं आएंगी. आठवें भाव में स्थित मंगल के कारण आप के शरीर में फोडे फुंसी या घाव होने की भी सम्भावनाएं बनी रहेंगी. आपको आग और चोरी की वजह से धन हानि हो सकती है. मंगल की यह स्थिति धन संचय के लिए अधिक अनुकूलता नहीं दे पाएगी. आपकी आमदनी भी बहुत अच्छी नहीं रहेगी.
आपका जीवनसाथी असाधारण हो सकता है. आपका बडे से बडा हितौशी भी लाख चाहने के बावजूद आपकी अधिक मदद नहीं कर पाएगा. आपका संवैधानिक पक्ष बहुत अधिक मजबूत नहीं रहेगा, लेकिन आपकी विषय वासना बहुत मजबूत बनी रहेगी. आपके छोटे भाई का स्वभाव में गुस्सैल होगा. आपकी वाणी भी कुछ कडवाहट लिए हुए हो सकती है.
मंगल की यह स्थिति आपके पिता के जीवन के कुछ खतरों की संकेतक हो सकती है. मंगल की यह स्थिति आपको तेज मिर्च मसाले की बनी चीजों और शराब की ओर भी आकर्षित कर सकती है. यहां स्थित मंगल आपको गुदा संबंधित रोग दे सकता है.
9. नवम भाव में स्थित मंगल का फल :
नवम भाव को भाग्य भाव भी कहते है. यहां स्थित मंगल जातक को कुछ हद तक अभिमानी बना सकता है. आप जीवन में बडी सफलता प्राप्त करेंगे लेकिन यह सफलता आपको अपने जीवनकाल मे 27 वर्षों के बाद ही मिलेगी. आपके भाइयों की संख्या अधिक हो सकती है अथवा आप स्वयं पराक्रमी व्यक्ति हो सकते हैं. आपमें अपेक्षाकृत क्रोध अधिक मात्रा में होगा लेकिन मंगल की यही स्थिति आपको कोई नेता या बडा अधिकारी भी बना सकती है.
यह स्थिति मेहनत के अनुसार कम लाभ दिलाती है. कभीकभी यह स्थिति आप ईर्ष्यालु भी बना सकती है. अत: केवल स्वाभिमानी बनें रहने का प्रयास करें, अभिमानी न बनें. हो सकता है कि आपको अपने पिता के कारण कुछ विषम परिस्थियों से भी गुजरना पडे. आपके जीवन काल में कुछ कानूनी अडचने भी आ सकती हैं. आप लिए लम्बी और समुन्दर पार की यात्राएं फायदेमंद नहीं रहेंगी.
आपके मित्रों की संख्या भी बहुत अधिक नही होगी. लेकिन आप अपने मित्रों में श्रेष्ठ होंगे. आपको सोना बेचने से बचना चाहिए, विशेष कर अपने घर में रखे हुए सोने को न बेचें. यथा सम्भव आत्मिक रूप से धार्मिक बने रहना आपके लिए शुभ रहेगा.
10. दशम भाव में स्थित मंगल का फल :
दशम भाव को कर्म व विद्या भाव भी कहते हैं. मंगल ग्रह की दशम भाव में स्थिति आपको धनवान तो बनाएगी ही साथ ही आपको को कुछ विशेष गुणवान बनाएगा जिसके कारण आप प्रसिद्ध होंगे और कुलदीपक की भूमिका निभाएंगे. आपकी रुचि मकैनिकल इंजीनिअर, इलेक्ट्रानिक इंजीनिअर, हथियारों से जुडे काम या वर्दी से जुडे कामों में हो तो यह मंगल आपकी मदद कर सकता है. यहां स्थित मंगल शल्य चिकित्सा या मंत्रों के ज्ञान में भी दक्ष बनाता है. उम्र के अट्ठाइसवें या अट्ठावनवें वर्ष में आपको कुछ विशेष उपलब्धि मिलेगी.
आप महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति हैं. आपको बडे पद और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी. आप महत्वाकांक्षी और दृढनिश्चयी व्यक्ति हैं. हांलाकि आप एक सफल व्यक्ति हैं लेकिन अपने आप तक ही सीमित रहना उचित नहीं होगा. आप सुखी और यशस्वी व्यक्ति होंगे. आपके पास विभिन्न प्रकार के वाहन होंगे और आप उनका सुख और लाभ उठाएंगे. लेकिन मंगल की यह स्थिति संतान के दृष्टिकोण से ठीक नहीं होती है.
11.एकादश भाव में स्थित मंगल का फल:
एकादश भाव को आय भाव भी कहते हैं. ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको धैर्यवान बनाता है. आप एक साहसी व्यक्ति हैं और अपने जीवन काल में खूब लाभ कमाएंगे. पंचम भाव पर दृष्टि होने के कारण ग्यारहवें भाव में स्थित मंगल आपको संतान से संबंधित परेशानियां दे सकता है जैसे कि संतान की पैदाइस में विलम्ब या गर्भपात जसी स्थितियां भी आ सकती हैं.
आपमें क्रोध की अधिकता हो सकती है जिस पर नियंत्रण पाना जरूरी होगा. यहां स्थित मंगल आपको खूब घूमने फिरने का मौका भी देता है. मित्रों के सहयोग से आप अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा कर पाएंगे लेकिन मित्रों से आपका मतभेद और विरोध भी हो सकता है.
आप गुरुजनों का बहुत सम्मान करते हैं. आपके स्वभाव में राजसी गुण भी पाए जाएंगे. अर्थात आप अपने आपको किसी राजा की तरह ही समझेंगे. वहीं आपके संस्कारों ने अनुमति दी तो आपकी रुचि मांसाहार में भी हो सकती है.
12. द्वादश भाव में स्थित मंगल का फल :
द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा जाता है. यहां स्थित मंगल अधिकांश मामलों में विपरीत परिणाम ही देता है. खर्चे अधिक होने के कारण आपको कर्जदार भी होना पड सकता है. यह आपको शस्त्र विद्या में निपुण बनाता है. आपको चोरो का भय भी रह सकता है अत: अपनी चीजों को सही ढंग से सहेजकर रखना उचित होगा. कभीकभी फिजूलखर्ची के कारण आपको आर्थिक विषमताओं का भी सामना करना पड सकता है.
यहां स्थिति मंगल के कारण आपके छोटे भाई या बहन को बडा पद और बडी प्रतिष्ठा भी मिल सकती है. लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति में कुछ उतार चढाव सम्भव है. वहीं दाम्पत्य जीवन के लिए यहां स्थित मंगल को अच्छा नहीं माना गया है. यहां स्थित मंगल आपके स्वभाव को उग्र बनाता है. यहां स्थित मंगल आखों में लाली या फिर अन्य नेत्र रोग दे सकता है.
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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