c. पंजाब कांग्रेस के एक कार्यकर्ता ने खुदकुशी से पहले प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को एक वॉयस मैसेज भेजकर अपनी बदहाली की पूरी कहानी बयां की. दलजीत सिंह जांगपुर उर्फ हैप्पी बाजवा नाम का यह कांग्रेस कार्यकर्ता दाखा के जांगपुर गांव का रहने वाला था. दलजीत ने गुरुवार को जहर खाकर खुदकुशी कर ली. उसने खुदकुशी से पहले करीब 10 मिनट का वॉयस मैसेज भेजा था.
दलजीत ने इस वॉयस मैसेज में कहा कि सिद्धू जी आप प्रधान बने हो आपको बधाई, पर मेरी तरह के कांग्रेसियों का हाथ भी थामें, मैं तो बीत गया, मेरा समय तो बीत गया है, मेरे परिवार का हाथ जरूर थामें, बड़े जमीर को मारकर इस तरह के काम होते हैं जो मैं करने जा रहा हूं, पर चलो भगवान को जो मंजूर है वह सब हो जाता है.
दलजीत ने आगे कहा कि मैं बहुत पुराना कार्यकर्ता रहा हूं पार्टी का, मैं यूथ कांग्रेस के साथ जुड़ा, राहुल गांधी के इलेक्शन कमिशन में आ गया था, इलेक्शन कमिशन के बाद मैंने कई राज्यों में काम किया, हरियाणा में सुरेजवाला जी के क्षेत्र में काम किया, उससे पहले भी जब बिट्टू साहब प्रधान बने थे तो मैं उनका डेलिगेट था, हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान, मध्य प्रदेश में मंैने काम किया. मध्य प्रदेश में 3 बार जा चुका हूं और वहां आल इंडिया कांग्रेस का को-ऑर्डिनेटर बनकर गया था. मैने गुजरात में भी काम किया जहां कांग्रेस डरती थी.
कांग्रेस कार्यकर्ता ने अपनी आर्थिक हालत का जिक्र करते हुए कहा कि मैं गरीब परिवार से संबंध रखता हूं और जब पंजाब मुड़कर वापस मैं आया तो अपने परिवार के लिए आटा-दाल का प्रबंध नहीं कर सका. मेरे खिलाफ इतनी पुलिस शिकायतें हुई, मेरी कमर तोड़कर रख दी, लेकिन मैंने पार्टी का हाथ नहीं छोड़ा, लेकिन पार्टी ने मेरे लिए कुछ नहीं किया. मरते दम तक मैं अभी भी पार्टी के साथ हूं.
उसने कहा कि साढ़े 4 साल निकल गए हैं लेकिन परिवार को आटा-दाल तक का प्रबंध नहीं सका, हमारे साथ कई गरीब परिवार जुड़े हैं और हकदार हैं, लेकिन उनके भी आटा दाल का प्रबंध अभी तक नहीं हो सका. अकाली के कई अमीर परिवार हैं उनको आटा-दाल मिल रहे हैं लेकिन हम अभी तक उनके आटा-दाल तक बंद नहीं करा सके, उनके पास कारें हैं और कोठियां है, मेरे जैसे कार्यकर्ताओं को संभालिए प्रधान जी, ऐसे बहुत सारे कार्यकर्ता हैं जिन्होंने पार्टी के लिए दिन-रात काम किया.
दलजीत ने आगे कहा कि कांग्रेस की सरकार में भी मेरे खिलाफ 307 का पर्चा दाखिल किया गया और मैं वहां शामिल तक नहीं था. अभी तक मुझे क्लीन चिट नहीं मिली है. मैंने इतने पर्चे झेले हैं 30 साल तक मेरी कमर टूट चुकी है, अगर दिहाड़ी मजदूरी भी करता इतने साल तो अपने परिवार को कहां ले जाता. लेकिन मैने 30 साल कांग्रेस में निकाल दिए, लेकिन कांग्रेस मेरे लिए आटा दाल तक का प्रबंध नहीं कर सकी.
खुदकुशी से पहले दलजीत ने कहा कि मैं पार्टी तो छोड़ नहीं सकता इसलिए मैं जिंदगी छोड़ रहा हूं, मेरे परिवार को संभाल लीजिएगा, मैने 30 साल निकाले हैं कांग्रेस में. मुझे बहुत खुशी है कि आप प्रधान बने हो, मैंने किसी कांग्रेसी का घर बर्बाद नहीं होने दिया मैं लड़ता रहा, आप जान सकते हो कि हैप्पी बाजवा कौन है, मैंने कितनी लड़ाइयां लड़ी हैं कांग्रेस के लिए. प्रधान जी इतनी लड़ाइयां लड़ने के बावजूद भी आज मैं फिर रोया और मौत को गले लगाना ही सही समझा. कृपा करें और मेरे परिवार का ध्यान रखें.
उसने कहा कि मैं अपने भाई के बच्चों की शादी तक नहीं करा सका, क्योंकि 30 साल मैंने पार्टी के लिए लगा दिया और 6-6 महीने घर नहीं आता था, मैंने अपनी शादी तक नहीं करवाई, पार्टी के नाम कर दी थी सारी जिंदगी, आज पार्टी ने हरा दिया. उसने कह कि मेरा भाई ड्राइवर है, आज भी ड्राइवर ही है और उसके बच्चे को मैंने गोद लिया हुआ है, अगर कुछ उस बच्चे का कर सकते हो तो करना, अगले जन्म में भी भगवान मुझे कांग्रेसी ही बनाए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसान जहां बुलाएंगे, मैं नंगे पांव उनसे मिलने जाऊंगा: नवजोत सिद्धू
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