रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों में औसतन 6.19 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा की है. आयोग के अधिकारियों ने बताया कि नई दरें एक अगस्त से प्रभावी हो गई हैं. आयोग के सचिव एसपी शुक्ला ने बताया कि राज्य में बिजली के सभी उपभोक्ता श्रेणियों में प्रति यूनिट 6.19 फीसदी की औसत बढ़ोतरी की गई है, जो 37 पैसे प्रति यूनिट है.
शुक्ला ने बताया कि आयोग ने वर्ष 2018-19 और 2019-20 के वित्तीय वर्षों में उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए बिजली दरों में कमी की थी. वहीं कोविड-19 महामारी की स्थिति को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं की गई. उन्होंने कहा कि राज्य धीरे-धीरे कोविड-19 महामारी से उबर रहा है इसलिए आयोग का विचार है कि बिजली दरों को संशोधित किया जाए. यदि ऐसा नहीं किया गया तब बिजली कंपनियों की लागत बढ़ती जाएगी तथा बाद में उपभोक्ताओं पर और बोझ बढ़ेगा.
शुक्ला ने कहा कि बिजली दरों को इस तरह से समायोजित किया गया है कि इससे राजस्व की प्राप्ति हो और किसी भी श्रेणी के उपभोक्ताओं को ज्यादा परेशानी न हो. उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में उपभोक्ताओं को औसत विद्युत प्रदाय दर 6.41 रुपए प्रति यूनिट है. जो पिछले वित्त वर्ष में 5.93 रुपए प्रति यूनिट थी.
वहीं छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि घरेलू उपभोक्ता श्रेणी में प्रति माह 100 यूनिट से कम खपत वाले स्लैब के लिए बिजली दर 3.40 रुपए से बढ़ाकर 3.60 रुपए प्रति यूनिट कर दिया गया है. इसके अलावा 101 से 200 यूनिट के लिए बिजली की दर 3.60 रुपए से बढ़ाकर 3.80 रुपए प्रति यूनिट कर दी गई है. घरेलू और अन्य श्रेणियों में इसी तरह बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई है.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि वर्तमान में लागू सिंगल फेज के उपभोक्ताओं के लिए संबद्ध भार की सीमा को तीन किलोवाट से बढ़ाकर पांच किलोवाट किया गया है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए जा रहे गौठानों को घरेलू उपभोक्ताओं की विद्युत प्रदाय श्रेणी में रखा गया है.
विज्ञप्ति के मुताबिक, पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग इकाइयों के लिए इलेक्ट्रिकल व्हीकल चार्जिंग की दर पांच रुपए प्रति यूनिट ही रहेगा. राज्य के नक्सल प्रभावित जिलों में नए मोबाइल टावर की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए एक अप्रैल 2019 के बाद लगने वाले मोबाइल टावर के ऊर्जा प्रभार में 50 प्रतिशत की छूट को जारी रखा गया है.
विज्ञप्ति में बताया गया है कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में संचालित अस्पताल नर्सिंग होम और डायग्नोस्टिक सेंटर के लिए प्रचलित विद्युत दरों के ऊर्जा प्रभार में जारी छूट पांच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत की गई है. राज्य में 33 केवी के उच्च दाब पर विद्युत प्राप्त करने वाले स्वतंत्र लघु ऑक्सीजन संयंत्र को ऊर्जा प्रभार में 10 प्रतिशत की छूट प्रदान की गई है.
इधर राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर महामारी के दौरान बिजली की दरें बढ़ाकर जनता के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया है. विधानसभा में विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक ने कहा है कि राज्य सरकार राज्य के लोगों के साथ विश्वासघात कर रही है. बिजली दरों में बढ़ोतरी से लोगों पर बोझ बढ़ेगा जो पहले से ही कोविड-19 महामारी का खामियाजा भुगत रहे हैं. राज्य सरकार बिजली दर बढ़ाकर लोगों के साथ अन्याय कर रही है.
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