महू (इंदौर). अमर क्रांतिकारी वासुदेव बलवंत फडक़े क्रांतिकारियों के आदर्श रहे हैं. उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ ना केवल खुद खड़े हुए बल्कि उन्होंने लोगों में देशभक्ति की भावना उत्पन्न करने में लगे रहे. ’ यह बात पूर्व सांसद राज्यसभा श्री रघुनंदन शर्मा ने कही. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू एवं हेरिटेज सोसायटी पटना के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर ‘वासुदेव बलवंत फडक़े : आद्य क्रांतिकारी विषय पर वेबीनार विषय पर श्री शर्मा मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे . उन्होंने कहा कि श्री फडक़े की जीवनी का अध्ययन करना, श्रवण करना लोगों के लिए शिक्षाप्रद होने के साथ-साथ मार्गदर्शक का कार्य करता है. उन्होंने बताया कि निडर क्रांतिकारी फडक़े चोंगा लेकर गांव-गांव में घूमते थे और लोगों से आह्वान करते थे कि अमुक दिन, अमुक स्थान पर अमुक समय पर उपस्थित हो जाएं. यहां पर मैं आप लोगों को बताऊंगा कि अंग्रेजी शासन के खिलाफ हमें क्या करना है. उनकी बातों को सुनकर कुछ लोग भयभीत हो जाते थे लेकिन बड़ी संख्या में लोग उनके साथ होते थे. श्री फडक़े ने युवाओं को अपने साथ लिया और उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ तैयार किया ताकि मातृभूमि की रक्षा की जा सके.
श्री शर्मा ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में बताया कि श्री फडक़े स्वाधीनता सेनानी बनने के पूर्व शासकीय नौकरी में थे. उनकी माताजी का स्वास्थ्य खराब होने की सूचना मिलने के बाद भी अंग्रेजी शासन ने उन्हें अवकाश नहीं दिया. जब वे घर पहुंचे तो उनकी माताजी स्वर्ग सिधार चुकी थीं. माताजी के देहांत हो जाने से युवा वासुदेव स्वयं को दोषी मान रहे थे और उनके मन में अंग्रेजी शासन के खिलाफ रोष पैदा हो रहा था. तभी एक अज्ञात शक्ति ने उनके हाथों में तलवार थमायी और वे अंर्तध्यान हो गए. इसके बाद बलवंत ने स्वयं को मातृभूमि के लिए समर्पित कर दिया. नौकरी से इस्तीफा देने के बाद पूरा समय वे आजादी की मुहिम में जुट गए. उज्जैन से महाकाल का आशीर्वाद लेकर पूरे समय पैदल यात्रा की और लोगों से अपने अभियान को सार्थक बनाने के लिए सहयोग की याचना करते रहे. युवा बलवंत के आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज थे. उन्हें लगता था कि एक दिन वे भी महाराज की तरह अपनी सेना का गठन कर अंग्रेजों को परास्त कर देंगे. उन्होंने अपनी पत्नी गोपिका को अस्त्र-शस्त्र के साथ घुड़सवारी का प्रशिक्षण देकर कहा कि अब वे स्वयं अपनी रक्षा करें. मुझे मां भारती की सेवा करने के लिए आगे जाना होगा. इस बीच उनकी भेंट रामोश्री सम्प्रदाय के लोगों से हुई. उनके साथ मिलने से उनके अभियान को ताकत मिल गई. हैदराबाद में क्रांतिकारी फडक़े बीमार हो गए और अज्ञातवास में चले गए. अंग्रेज अधिकारी डेनियल उन्हें तलाश करते हुए वहां पहुंच गए और सो रहे लोगों के बीच से वासुदेव को पहचान कर गिरफ्तार कर लिया. जेल में ही उनकी मृत्यु हो गई. क्रांतिकारी वासुदेव से प्रेरणा लेकर चापेकर बंधुओं ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. श्री शर्मा ने कहा कि भारतीय स्वाधीनता के इतिहास के पन्ने में ऐसे अनेक वीरों की कहानी दर्ज है. वासुदेव बलवंत फडक़े उन्हीं वीरों में से एक थे जिन्हें भारत भूमि प्रणाम करती है.
वेबीनार के आरंभ में कार्यक्रम की अध्यक्षा एवं कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने मुख्य वक्ता श्री रघुनंदन शर्मा का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में अवगत कराया. वेबीनार में सह संयोजक की हेरिटेज सोयायटी के महानिदेशक डॉ. अनंताशुतोष द्विवेदी ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन यौगिक विज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. अजय दुबे ने किया. डॉ. दुबे ने कहा कि महामहिम राज्यपाल श्री मंगू भाई छ. पटेल के संरक्षण एवं मार्गदर्शन, कुलपति प्रो. आशा शुक्ला अमृत महोत्सव के इस संकल्प को साकार करने के लिए लगन के साथ मेहनत कर रही हैं और हम सबको प्रेरित भी कर रही हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुलपति महोदया के मार्गदर्शन में हम आगे बढ़ते रहेंगे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-दिल्ली से इंदौर आ रही विस्तारा का विमान से पक्षी टकराया, करीब 100 यात्री सुरक्षित
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