नजरिया. बिहार की राजनीति में जीतन राम मांझी क्या करेंगे? क्या कह देंगे? कोई नहीं जानता!
खबर है कि इस बार बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के संयोजक जीतन राम मांझी ने कहा है कि- राज्य सरकार को अब खुद ही जाति आधारित जनगणना शुरू करानी चाहिए?
यही नहीं, मांझी ने पीएम नरेंद्र मोदी को ओबीसी बिल संसद में पास कराने के लिए धन्यवाद दिया है और कहा है कि- अब ओबीसी के मसले पर केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को ही काफी शक्ति दे दी है, इसलिए बिहार की सरकार को अब खुद ही इस मसले पर आगे बढ़ना चाहिए. इस मुद्दे पर केंद्र सरकार पर दबाव बनाना छोड़ देना चाहिए.
दिलचस्प बात यह है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जाति आधारित जनगणना के लिए केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं और इसे लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री से करीब एक हफ्ते पहले पत्र लिखकर मुलाकात के लिए समय भी मांगा है.
उधर, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मुद्देे पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है और उनका भी कहना है कि- यदि केंद्र सरकार जाति आधारित जनगणना के लिए तैयार नहीं होती है, तो राज्य सरकार को कर्नाटक की तर्ज पर खुद ही इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए.
नीतीश सरकार जाति आधारित जनगणना करवाना तो चाहती है, लेकिन दिक्कत यह है कि उसका खर्चा कौन उठाए?
केंद्र सरकार ने तो रास्ता खोल दिया है, किन्तु कोरोना ने राज्य की माली हालत खराब कर दी है, ऐसे में नीतीश सरकार क्या करे?
सियासी सयानों का कहना है कि बिहार में सरकार चलाना आसान काम नहीं है, बहुमत के अभाव में भी नीतीश कुमार ही हैं, जो चला रहे हैं, वरना सीएम को एक तरफ विरोधियों से निपटना है, तो दूसरी ओर सहयोगियों को संभालना है!
देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार इस मुद्दे पर अपनी सियासी नैय्या कैसे पार लगाते हैं?
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-बिहार: जनता दरबार में युवक ने कहा- नीतीश जी, आपकी वजह से नौकरी नहीं लगी, सीएम रह गए भौंचक
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