तालिबान ने अफगानिस्तान को अपने कब्जे में ले लिया है. एयरपोर्ट से लेकर सड़कों तक तालिबान का ही कब्जा है. कहा जा रहा है कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान की तस्वीर बदल जाएगी और इससे महिलाओं की आजादी पूरी तरह छिन जाएगी. लेकिन, ऐसा नहीं है कि तालिबान के आने से ही अफगानिस्तान में कई गलत परंपराओं का जन्म होगा, जबकि कुछ चीजें पहले से ही अफगानिस्तान में हैं. इसमें से एक है ‘बच्चा बाजी’.
बच्चा बाजी एक ऐसी परंपरा है, जिसका पूरी दुनिया में विरोध रहता है. अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान में भी बच्चा बाजी का चलन है और पाकिस्तान से भी इसे लेकर खबर आती रहती हैं. आखिर वो है क्या और क्यों इसका विरोध किया जा रहा है. जानते हैं कि इससे जुड़ी हर एक बात.
क्या है बच्चा बाजी?
दरअसल, बच्चा बाजी एक तरह की प्रथा है, जिसमें 10 साल के आसपास वाले बच्चों से अमीर लोग पार्टियों में डांस करवाते हैं. ये बच्चों के टैलेंट को प्रोत्साहित करना नहीं है, बल्कि यह बच्चों पर अत्याचार है. इस प्रथा में बच्चे इन पार्टियों में लड़कियों के कपड़े पहनकर और मेकअप करके डांस करते हैं. कहा जाता है कि इसमें डांस के बाद पुरुष इन बच्चों का रेप करते हैं और फिर बच्चे इस दलदल में फंसते चले जाते हैं. इस प्रथा में महिलाओं के साथ काफी दुर्व्यवहार भी होते हैं, इस वजह से इसकी आलोचना होती रही है.
कई बच्चे लोगों के चंगुल से भागकर बाहर भी आए हैं और उन्होंने अपना दर्द सुनाया है. वैसे जहां एक और अफगानिस्तान में समलैंगिकता को गैर-इस्लामिक और अनैतिक माना जाता है और वहां ये प्रथा काफी आम है, जिस प्रथा में बच्चों के साथ दुष्कर्म किया जाता है. इन बच्चों को यहां ‘लौंडे’ या ‘बच्चा बेरीश’ भी कहा जाता है और वो लड़कियों की तरह कपड़े पहनकर नाचते हैं. ये उम्र से अक्सर नाबालिग होते हैं.
होता क्या है कि ये बच्चे किसी ना किसी पार्टी में जाते हैं और लोगों को मनोरंजन करते हैं. साथ ही उन्हें इस काम के लिए सिर्फ कपड़े और खाना मिलते हैं, क्योंकि गरीबी की हालत में बच्चे ये काम करने पर मजबूर होते हैं. जिन लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं होता है, वो लोग इसको सहारा बनाते हैं. एक बेहतर जीवन की तलाश में लड़के इस तरफ आकर्षित हो जाते हैं.
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