कुंडली में यदि मंगल उच्च होता है तो उग्रता, पराक्रम, साहस, वीरता, कर्तव्यनिष्ठता, बल क्रोध और प्रसिद्धि प्रदान करता है.
मंगल नीच राशि मे हों:-
यदि कुंडली में मंगल नीच राशि में बैठे हों तो क्रूरता, नीचता, दुर्बलता, चंचलता, मंगली, काला हृदय, रात्रि भ्रमण करने वाला, अपराध करने वाला गुणवान, एवं धनवान, बनाता है.
मंगल मित्र राशि में:-
मित्र राशि में यदि मंगल स्थित होता है तो जातक को उग्रता, तेज, पराक्रम, साहस, मित्रता, शक्ति धन, ज्ञान, जनता, और बल, प्रदान करता है.
मंगल शत्रु राशि में:-
शत्रु ग्रह की राशि में यदि स्थित हों मंगल तो जातक तेजहीन, पराक्रम हीन, संपत्ति हीन, अपंग, दुर्बल, आत्म बल से रहित, चिंता मग्न, गंदा, अस्त-व्यस्त, पत्नी का दास, या माता का पिछ लग्गू बना होता है.
मंगल स्वराशि में:-
स्वराशि में स्थित हो अगर मंगल अपनी ही राशि में तो जातक धनी, यशस्वी, पराक्रमी, बली, मंगली, साहसी, सैन्य पुलिस अधिकारी, उग्र, चंचल, एवं तीव्र बुद्धि वाला होता है.
मंगल मूल त्रिकोण में:-
मूल त्रिकोण में स्थित हों यदि मंगल तो जातक क्रोधी, क्रूर, चरित्रहीन, निर्मम, दुष्ट, निंन्दनीय कर्म करने वाला, स्वार्थी, धनी, परन्तु प्रतिभाशाली होता है. और यहां बैठा है पंचम में,
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से 21 अगस्त 2021 तक का साप्ताहिक राशिफल
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