प्रदीप द्विवेदी (खबरंदाजी). आजकल गुडमार्निंग होते ही सवेरे का नाश्ता अफगानिस्तान की खबरों के साथ, लंच अफगानिस्तान के साथ, तो डिनर और गुडनाइट अफगानिस्तान के साथ हो रहा है, लगता है या तो अफगानिस्तान, हिन्दुस्तान आ गया है या फिर हिन्दुस्तान, अफगानिस्तान पहुंच गया है?
दरअसल, भारतीय न्यूज चैनलों ने अफगानिस्तान की आपदा में साहेब की कमियां, गलतियां, मुद्दे छुपाने का अवसर तलाश लिया है!
लेकिन, हेे भारतीय न्यूज चैनलों! अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की भी वापसी हो गई है, अब तो अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान लौट आओ, कोई तुमसे कुछ नहीं कहेगा? कोई कुछ नहीं पूछेगा? साहेब को परेशान करनेवाला कोई मुद्दा नहीं उठाएगा!
खबर तो यह भी है कि तालिबान सबका साथ लेकर अफगानिस्तान का विकास करना चाहता है और सबका विश्वास जीतने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर प्रयास भी शुरू कर दिए हैं, लिहाजा भारत के साथ उसकी बातचीत भी हुई है?
हम तालिबान को मन से माफ नहीं करेंगे, लेकिन अब तो यहां भी धमाकेदार खबरों की कमी नहीं है, इसलिए हेे भारतीय न्यूज चैनलों, अफगानिस्तान से हिन्दुस्तान लौट आओ!
कहते हैं, जब कोई समस्या समाधान की सीमा से बाहर हो जाए, तो उस पर केवल व्यंग्यबाण ही चलाए जा सकते हैं, आज विभिन्न मुद्दों पर इस तरह की दिलचस्प प्रतिक्रियाएं रहीं....
प्रसिद्ध पत्रकार रणविजय सिंह @ranvijaylive ने निशाना साधा- भारत की तालिबान से बातचीत शुरू हो गई है. अब आगे आतंकी संगठन तालिबान का विरोध करना है या नहीं?
मुझे पूरा यकीन था मोदी सरकार गुड तालिबान और बैड तालिबान के चक्कर में नहीं पड़ेगी, लेकिन अफसोस...
𝗔𝘂𝗴𝘂𝘀𝘁 𝟮𝟬𝟭𝟱: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - "गुड तालिबान - बैड तालिबान, ये अब चलने वाला नहीं है. हर किसी को तय करना पड़ेगा कि आप आतंकवादियों के साथ हो या मानवता के साथ हो, निर्णय करो!"
𝗔𝘂𝗴𝘂𝘀𝘁 𝟮𝟬𝟮𝟭: मोदी सरकार ने तालिबान से बात शुरू की?
कांग्रेस नेता श्रीनिवास बीवी @srinivasiyc का उलझनभरा सवाल- एक आतंकवादी संगठन तालिबान से भारतीय राजदूत की मुलाकात सैद्धांतिक रूप से सही है? राष्ट्रवादी भक्तों की इस पर क्या राय है?
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत @SupriyaShrinate ने ट्वीट किया- इससे पहले कि प्रचारजीवि सरकार भ्रम फैलाए और अपनी पीठ थपथपाए, याद रहे- वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में 20.1 प्रतितशत की विकास दर का आधार पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का (-) 24.4 प्रतिशत संकुचन है?
वास्तविकता में पिछले साल में हुई आर्थिक बर्बादी से अभी उभरे नहीं हैं!
वरिष्ठ संपादक उमाशंकर सिंह @umashankarsingh ने प्रमुख पत्रकार विजेता सिंह @vijaita के सरसों तेल के रेट शेयर करने पर व्यंग्यबाण चलाया- महंगा तो खाने वालों के लिए हुआ है, लगाने वालों के लिए नहीं!
प्रसिद्ध पत्रकार पुण्य प्रसून वाजपेयी @ppbajpai ने सवाल किया....
गुटनिरपेक्षता छोडी.... रूसी दोस्ती छूटी.... सार्क टूटा....
क्या अमेरिका ने भारत को धोखा दिया?
प्रमुख विचारक दिलीप मंडल @Profdilipmandal ने सवाल किया- आप समझ रहे हैं न कि जब मॉल, शराबखाने, सिनेमाघर सब खुल गए तब कॉलेज और यूनिवर्सिटी क्यों बंद हैं? सरकारों की साजिश को समझिए!
प्रमुख पत्रकार संदीप चौधरी @SandeepNews_ का बड़ा सवाल- प्राइवेट स्कूल अब विद्यालय नहीं मॉल हो गए हैं, वहां किताबें बिकती हैं, कपड़े बिकते हैं, जूते बिकते हैं, मोजे बिकते हैं, ट्यूशन के मास्टर बिकते हैं, कुछ स्कूलों में धर्म भी बिकता है और सबसे अंत में शिक्षा बिकती है और ये सारे सामान लागत मूल्य से दस गुने पर बेचे जाते हैं, क्यों?
उधर, भरत सुथार @BharatSutharINC का कहना है कि.... अफरातफरी भरे आफतकाल में ये भूल मत जाना कि- चौकीदार ही चोर है!
सपा नेता अनुराग वर्मा (पटेल) @AnuragVerma_SP ने बड़ा दिलचस्प सवाल उठाया- जो कहते है 100 क्या, 200 रुपये में भी पेट्रोल डलवा लेंगे, फिर वही लोग 5 किलो राशन की लाइन पे भी झोला पकड़ के क्यों खड़े रहते हैं?
कांग्रेस नेता मुकेश शर्मा @MukeshSharmaMLA ने दिल्ली का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा-
आप का अजब गजब विकास मॉडल!
नीचे भी पानी ऊपर भी पानी!!
https://twitter.com/i/status/1432600823830220807
आप का अजब गजब विकास मॉडल!
— Mukesh Sharma (@MukeshSharmaMLA) August 31, 2021
नीचे भी पानी ऊपर भी पानी!! pic.twitter.com/FatKeGIu13
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