केरल के पलक्कड़ जिले में माथुर गांव पंचायत ने अपने कार्यालय परिसर में 'सर' और 'मैडम' जैसे औपनिवेशिक काल के आदरसूचक शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इसका मकसद आम जनता, जन प्रतिनिधियों और नगर निकाय अधिकारियों के बीच खाई को भरना है. इस फैसले के साथ ही केरल की माथुर पंचायत देश की ऐसी पहली पंचायत बन गयी है, जहां आने वाले लोग अधिकारियों और कर्मचारियों को सर या मैडम नहीं कहेंगे. लोग अधिकारियों को उनके नाम से बुलाएंगे.
पंचायत का ये मानना था कि ये सम्मान सूचक शब्द औपनिवेशिक काल यानी कॉलोनियल एरा की पहचान हैं. इसके इस्तेमाल को रोक देना चाहिए. इसीलिए सर्वसम्मति से इसपर बैन लगा दिया गया. पंचायत के सदस्यों ने शासकीय भाषा विभाग से 'सर' और 'मैडम' जैसे शब्दों के विकल्प मुहैया कराने का अनुरोध भी किया है . केरल की इस पंचायत ने पूरे देश को रास्ता दिखाते हुए नई लकीर खींची है. तो आज इसी मुद्दें पर इडिया की ओपिनियन जानने की कोशिश की है हमने.
केरल की पंचायत का फैसला
'सर' और 'मैडम' शब्द के इस्तेमाल पर रोक
पलक्कड़ के माथुर पंचायत का फैसला
'सर' और 'मैडम' ब्रिटिश शासन के शब्द
अधिकारियों को नाम से बुलाएगी जनता
जनता-प्रतिनिधियों के बीच दीवार तोड़ने की मंशा
लोगों और अफसरों के बीच खाई भरने की कोशिश
वैसे, देश में ये कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले अगस्त 2020 में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तब के चीफ जस्टिस एस.ए. बोबडे ने वकील से कहा था कि 'आप योर ऑनर संबोधन का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? क्या अमेरिकी कोर्ट के सामने दलीलें पेश कर रहे हैं? योर ऑनर का इस्तेमाल अमेरिकी कोर्ट में होता है, भारतीय सुप्रीम कोर्ट में नहीं. हम योर ऑनर का इस्तेमाल नहीं करेंगे. उस संबोधन का इस्तेमाल करें, जो भारत में होता है.'फरवरी 2021 में भी बोबडे ने योर ऑनर कहने पर सख्त ऐतराज जताया था. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को योर ऑनर कहकर नहीं बुलाना चाहिए.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
Leave a Reply