देश भर में 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस, जानें इसके बारे में

देश भर में 14 सितंबर को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस, जानें इसके बारे में

प्रेषित समय :12:02:34 PM / Tue, Sep 14th, 2021

देश भर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. हिंदी का सम्मान करने के लिए इसे एक दिन समर्पित कर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता आ रहा है. महात्मा गांधी ने देश की राष्ट्रभाषा हिंदी को बनाने की बात भी कहीं थी. गांधी जी ने ही हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा था. उनके अलावा कई साहित्यकारों ने भी हिंदी के लिए कई प्रयास किए, लेकिन कई प्रयासों के बाद भी हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा ना मिल सका था. संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था. इसी दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. आधिकारिक तौर पर पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था.

हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इस बात से रूबरू कराना है कि जब तक वे पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी भाषा का विकास नहीं हो सकता है. इसीलिए 14 सितंबर को हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सभी सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी के स्थान पर हिंदी का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावा हिंदी सप्ताह भी मनाया जाता है. हिंदी सप्ताह 14 सितंबर से एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है. इस पूरे सप्ताह अलग अलग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. यह आयोजन विद्यालय और कार्यालय दोनों में किया जाता है. इसका मूल उद्देश्य हिंदी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों में केवल हिंदी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है.

कैसे मनाया जाता है हिंदी दिवस?

हिंदी दिवस के दौरान कई कार्यक्रम होते हैं. इस दिन छात्र-छात्राओं को हिंदी के प्रति सम्मान और दैनिक व्यवहार में हिन्दी के उपयोग करने आदि की शिक्षा दी जाती है, जिसमें हिंदी निबन्ध लेखन, वाद-विवाद, प्रतियोगिता आदि होती है. हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रति लोगों को प्रेरित करने हेतु भाषा सम्मान की शुरुआत की गई थी. यह सम्मान प्रतिवर्ष देश के ऐसे व्यक्तित्व को दिया जाएगा जिसने जन-जन में हिंदी भाषा के प्रयोग एवं उत्थान के लिए विशेष योगदान दिया है. इसके लिए सम्मान स्वरूप एक लाख एक हजार रुपये दिये जाते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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