प्रदीप द्विवेदी. अभी-अभी दो राज्यों.... गुजरात और पंजाब में बड़े राजनीतिक बदलाव हुए, परन्तु न्यूज चैनल ने पंजाब में विरोध के स्वर तो उछाल दिए, पर गुजरात के दबा दिए!
इसीलिए बड़ा सवाल है कि- कैप्टन अमरिंदर सिंह और नितिन पटेल के सियासी दर्द में फर्क क्या है?
खबर है कि पंजाब में लंबे समय तक चली सियासी रस्साकशी के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शनिवार को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया. इसके बाद शाम को कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी. इतना होना था कि नेशनल न्यूज चैनल तेजी से सक्रिय हो गए और बार-बार कैप्टन अमरिंदर से सवाल करने लगे कि उनका अगला कदम क्या होने वाला है?
काश! इतना मीडिया दर्द नितिन पटेल के लिए भी दिखाया होता?
खैर, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि- मैं यह नहीं कह सकता हूं कि कांग्रेस में रह पाना मुश्किल होगा या नहीं. मैंने अपनी पूरी जिंदगी के 52 साल पंजाब और पंजाब के लोगों के लिए दिए हैं और इसके लिए काफी खुशी भी हंू, परन्तु न्यूज चैनल को चैन कहा था, कैप्टन की बीजेपी से करीबी, अलग पार्टी बनाने आदि सवाल भी उछाल दिए, तो उन्होंने कहा कि अभी इस्तीफा दिए हुए एक घंटा ही हुआ है, मुझे कुछ समय चाहिए?
उन्होंने कहा कि- मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि राजनीति में हमेशा ही विकल्प होता है. मैं अपने साथियों के साथ बात करूंगा और फिर देखूंगा. सबसे बात करके ही आगे का फैसला लूंगा!
उधर, गुजरात में नई सरकार के गठन के दौरान मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर कर दिए गए पूर्व उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल का सियासी दर्द भी कम नहीं था, लेकिन बेरहम नेशनल मीडिया ने उनके सियासी दर्द को ही नजरअंदाज कर दिया?
नितिन भाई नए मंत्रियों के शपथ ग्रहण के दौरान राजभवन में समारोह के मंच पर तो रहे, किन्तु बाहर आने पर जब प्रेस-प्रश्न हुआ तो उनका सियासी दर्द छलक गया!
खबरों की माने तो जब उनसे यह पूछा गया कि वे पार्टी के नाराज समर्थकों को मनाने के लिए क्या करेंगे? तो उनका जवाब था- अगर कोई नाराज़ है तो उसे देखना मेरी जिम्मेदारी नहीं हैं, इसे अब अभी के नेतृत्व को देखना होगा?
याद रहे, नितिन भाई ने पिछले विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें वित्त मंत्रालय नहीं देने पर खुले बगावती तेवर दिखाए थे और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को झुकते हुए यह विभाग देना ही पड़ा था, लिहाजा राजनीतिक जानकार अभी भी चुनाव से पहले किसी सियासी धमाके की आशंका व्यक्त कर रहे हैं?
दिलचस्प खबरें तो उनके पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला से मुलाकात की भी हैं, कितनी सच? कितनी झूठ? यह तो समय बताएगा, लेकिन शंकरसिंह वाघेला @ShankersinhBapu ने जो ट्वीट किए है? उन्होंने सियासी हंगामा मचा दिया है- आज की राजनीति महाभारत से कम नहीं! उसूलों और स्वाभिमान पर आंच आए तो अपने ही परिवार के कौरवों से लड़ना सही धर्म और कर्म है. यह धर्म युद्ध ना सिर्फ स्वाभिमान की रक्षा के लिए है बल्कि समग्र प्रदेश के कल्याण के लिए है. जब-जब ऐसी परिस्थिति आएगी अजुर्न को निसंकोच युद्ध करना होगा?
उनका तो यह भी कहना है कि- देश के महत्वपूर्ण राज्य गुजरात में भाजपा मुख्यमंत्रियों को ऐसे बदल रही है जैसे गुजरात सर्कस हो और मुख्यमंत्री कठपुतली, जिसे दिल्ली उंगलियों पर नचवा रही है!
क्या गुजरात को ऐसी सर्कस वाली सरकार चाहिए?
देखना मजेदार होगा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह और नितिन पटेल की राजनीतिक नाराजगी क्या रंग दिखाती है?
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