बहुत से लोगो का ये कहना होता है कि उन्होंने नारायणबली गया में या अन्य किसी पवित्र नदी के किनारे करवाई थी लेकिन उसके बाद भी उन्हें पितृ दोष बना हुआ है.
इसका कारण होता है सही उपाय का न होना अगर किसी को त्रिपण्डि श्राद्ध की जरूरत है और वो नारायणबली करवाएगा तो परिणाम कहा से प्राप्त होगा?
मलेरिया की बुखार में पेट दर्द की गोली से कहा आराम होगा .आराम के लिए तो दवा आपको मलेरिया की ही लेनी पड़ेगी.
इसके लिए में आपको अपने ज्ञान के अनुसार जानकारी दे रहा हूं जो मुझे ज्ञात हुई है.
(1) *नारायणबली:-* ये उन पित्रो के लिए करवाई जाती है जिनके बारे में आपको पता हो जैसे आपके परिवार का कोई वो सदस्य जिसके नाम और उसके बारे में आप जानते है और शांत होने के बाद आपके सपने में आता है या किसी अन्य प्रकार से प्रेत योनि में जाकर आपके परिवार में पितृ दोष बना रहा है या आपको कष्ट दे रहा हो तो उनके लिए नारायणबली करवाई जाती है क्योंकि संकल्प में आपको प्रेत का नाम और गोत्र बोलना पढ़ता है, चुकी आपको उसके बारे में पता है इस कारण आप नाम गोत्र संकल्प में बोलकर ये उसकी सद्गति के लिए करवा सकते है
(2) *नाग बलि:-* पूर्व जन्म में अकारण किसी सांप को मारने से या गर्भ गिरवाने के कारण ये दोष बनता है और इसका परिणाम ये होता है कि सन्तान होने में समस्या आती है या बार बार गर्भ गिर जाता है या बच्चे मरे हुए पैदा होते है
इसके निवारण के लिए कृष्ण पक्ष की पंचमी को नाग देवता का पूजन करवाया जाता है उनको भोग वगेरह देकर इस दोष का निवारण करवाया जाता है
(3) *त्रिपिंडी श्राद्ध:-* त्रिपिंडी श्राद्ध तब करवाया जाता है जब आपकी कुंडली मे पितृ दोष बना हुआ हो और आपको ये पता नही हो कि हमारी पीढ़ी में किसकी अधोगति के कारण ये बना हुआ है मतलब उस पितृ के बारे में आपको पता नही हो जो अधोगति में है मान लीजिये आपसे पूर्व की 5 वी पीढ़ी में शांत हुआ कोई इंसान अधोगति में होने के कारण आपकी कुंडलियों में ये दोष बना हुआ है अब आपको उस पितृ का नाम की जानकारी नही है तब ये कराया जाता है इसमें 3 पिंड बनते है एक ब्राह्म जी का दूसरा विष्णु जी का तीसरा महादेव का मतलब अगर वो आत्मा सात्विक हुई तो ब्रह्मा जी उसकी सद्गति करे राजसिक हुई तो विष्णु भगवान उसकी सद्गति करे और तामसिक(भूत प्रेत गन्दी योनि) में हुई तो भगवान शिव उसकी सद्गति करे.
पितृ दोष निवारण श्राद्ध ये श्राद्ध तीनो श्राद्धों के साथ अनिवार्य होता है इसको करने का मतलब होता है कि हम अपने पित्रो से अब तक की हुई गलतियों की क्षमा मांगते है उन्हें वचन देते है कि आइंदा नियम पूर्वक धर्म पूर्वक जीवन जिएंगे समय समय पर उनको भोग प्रदान करेंगे हमारी कमाई का कुछ हिस्सा उनके लिए रखेंगे जी हां आप जो भी कमाते है उसमे इनका हिस्सा होता है क्योंकि ये जीवन उन्ही की देंन है अगर आप वो हिस्सा उनके लिए नही निकालते हैं तो वो पितृ अपने हिस्से को अस्पताल कोर्ट बीमारियों के जरिये निकलवाते है. जब इन चीजो को देखा है अनुभव किया है तभी ये ज्ञान प्राप्त हुआ है ओर जो नही मानते उनको समय अपने आप मनवा देता है l
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