रिसर्च में हुआ खुलासा: वजन कम करने डाइट ड्रिंक का इस्तेमाल वजन और बढ़ा सकता है

रिसर्च में हुआ खुलासा: वजन कम करने डाइट ड्रिंक का इस्तेमाल वजन और बढ़ा सकता है

प्रेषित समय :10:00:11 AM / Sun, Oct 3rd, 2021

हम बाजार की चीजों पर ज्यादा निर्भर रहने लगे हैं, लेकिन ये चीजें हमारी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह है. आज कोई भी ऐसा नहीं जो सॉफ्ट ड्रिंक का सेवन नहीं करता हो. शहरी रहन-सहन में तो सॉफ्ट ड्रिंक एक रिवाज बनता जा रहा है. अब एक अमेरिकी अध्ययन में सॉफ्ट ड्रिंक के बेतरतीब इस्तेमाल को लेकर आगाह किया गया है. अध्ययन में कहा गया है कि ऐसे फूड्स या सॉफ्ट ड्रिंक जिनमें कृत्रिम मीठा का इस्तेमाल किया जाता है, वह मोटापे को और अधिक बढ़ा सकता है. दरअसल, सॉफ्ट ड्रिंक में आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है. यह भूख को बढ़ाता है जिससे लोगों को बार-बार खाने की चाहत होती है. इसका परिणाम यह होता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल करने वालों में वजन बढ़ता जाता है.
कृत्रिम स्वीटनर भूख पैदा करता है

हैरानी की बात यह है कि आमतौर पर लोग डाइट ड्रिंक का इस्तेमाल वजन कम करने के लिए करते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि स्वीटनर दिमाग में ऐसा संदेश भेजता है जिससे ज्यादा भूख पैदा होती और इससे लोग ज्यादा कैलोरी लेने लगते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ साउदर्न कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कुछ लोगों को शामिल कर उन्हें डाइट ड्रिंक देकर यह परखने की कोशिश की कि क्या इन लोगों में भूख की चाहत कम होती है. आमतौर पर सॉफ्ट या डाइट ड्रिंक में स्वीटनर का इस्तेमाल किया जाता है. स्वीटनर एक प्रकार का सुक्रालोज होता है. इसके अलावा डाइट कोक जैसे ड्रिंक में एस्पार्टेम का इस्तेमाल भी किया जाता है. इन पदार्थों को कृत्रिम तरीके से बनाया जाता है.

अध्ययन में समान संख्या में महिला और पुरुषों को शामिल किया गया. इन्हें तीन श्रेणियों में बांट दिया गया-हेल्दी वेट वाले लोग, ओवरवेट वाले लोग और बहुत अधिक मोटे लोग. कुछ लोगों को मानक स्वीटर दिया गया जबकि कुछ को इसका सब्सटीट्यूट दिया गया. अंत में पानी दिया गया. दो घंटे के बाद ब्रेन का एमआरआई किया गया. इसके अलावा हार्मोन जांच के लिए ब्लड सैंपल भी लिए गए. अध्ययन के दौरान यह भी देखा गया कि सॉफ्ट ड्रिंक के बाद अध्ययन में शामिल लोगों ने कितनी बार खाना खाया. अध्ययन में पाया गया कि आर्टिफिशियल स्वीटनर लेने वाले मोटे लोग और महिलाओं के ब्रेन का वह हिस्सा सक्रिय हो गया जो भूख की चाहत पैदा करता है. इसके बजाय जिन लोगों को साधारण चीनी वाले पेय पदार्थ दिया गया, उनमें भूख की चाहत उतनी नहीं थी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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