तो एमपी में गहरा जाएगा अंधकार, बिजली की मांग 10, उत्पादन 3900 मेगावाट, सिंगाजी में बचा दो दिन का कोयला

तो एमपी में गहरा जाएगा अंधकार, बिजली की मांग 10, उत्पादन 3900 मेगावाट, सिंगाजी में बचा दो दिन का कोयला

प्रेषित समय :17:45:41 PM / Sat, Oct 9th, 2021

पलपल संवाददाता, जबलपुर. मध्यप्रदेश में भी अब कोयला का संकट गहराने लगा है, खरगोन में कोयला समाप्त हो चुका है वहीं गाडरवारा में एक दिन का कोयला बचा है. इसके अलावा मध्यप्रदेश जनरेशन कंपनी के सबसे बड़े श्रीसिंगाजी थर्मल पॉवर में दो दिन का ही कोयला बचा है. जिससे प्रदेश में बिजली का संकट होने के आसार बन गए है, हालांकि प्रदेश के उर्जामंत्री का कहना है कि बिजली का संकट नहीं होने दिया जाएगा.

बताया जा रहा है कि प्रदेश में त्यौहारों के चलते बिजली की मांग दस हजार मेगावॉट तक पहुंच गई, जबकि प्रदेश के थर्मल, जल, सोलर व विंड से 39 सौ मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो रहा है, शेष बिजली केन्द्र पॉवर से प्राप्त की जा रही है, यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो त्यौहारों में बिजली का संकट गहरा जाएगा. एमपी पावर जनरेटिंग कंपनी के अनुसार कंपनी के थर्मल प्लांट को रोजाना 52 हजार टन कोयले की जरुरत पड़ती है, वहीं निजी थर्मल पावर के लिए 25 हजार टन व सेंट्रल थर्मल पावर प्लांट के लिए 111 हजार टन कोयले की आवश्यकता होती है, इसकी तुलना में दो दिन पहले की स्थिति मेें कुल 592 हजार टन कोयला है. हालांकि प्रदेश की शिवराजसिंह चौहान सरकार ने 22 हजार मेगावॉअ बिजली का अनुबंध कर रखा है, जिसमें केन्द्र से मिलने वाली 8300 मेगावॉट बिजली शामिल है, थर्मल पॉवर तौर पर 6700 मेगावॉट बिजली भी शामिल है, थर्मल पॉवर के तौर पर 6700 मेगावॉट, जल विद्युत के तौर पर 3066 मेगावॉट, विंड से 2416 मेगावॉट, सोलर से 1560 मेगावाट और अन्य स्रोत से 01 मेगावॉट बिजली मिल सकती है. विंड व सोलर की बिजली मौसम पर निर्भर है, डैम का प्रयोग पेयजल और सिंचाई के लिए अधिक उपयोग किया जाता है. बिजली कम बनती है, अधिक डिमांड बढऩे पर ही जल संयंत्रों को चलाते हैं. अधिकारिक सूत्रों की माने तो सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं पूरे देश में कोयले से चलने वाले पॉवर प्लांट में कोयला की समस्या बढ़ गई है, जिससे आने वाले दिनों में बिजली का बड़ा संकट गहरा जाएगा. एमपी के उर्जामंत्री प्रद्युम्रसिंह तोमर का कहना है कि कोल इंडिया को बकाया पैसों के भुगतान की व्यवस्था कर ली गई है. प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी, लेकिन नवरात्रि के दौरान इसकी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. गौरतलब है कि बिजली का संकट कई महीनों से चल रहा है कोविड की दूसरी लहर के बाद अर्थ व्यवस्था में तेजी आई है बिजली की मांग भी अचानक बढ़ी है लेकिन बिजली की कमी के चलते अर्थ व्यवस्था पर एक बार फिर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, नवम्बर व दिसम्बर में बिजली की मांग 16 हजार मेगावॉअ तक पहुंचेगी, अभी दस हजार मेगावॉट बिजली की आपूर्ति करने में ऐसे हालात बन रहे है तो अतिरिक्त 6 हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन करना एक बड़ा सवाल होगा.

कोयले की उपलब्धता के लिए ठोस कदम उठा रहे है-

इस संबंध में एमपी पॉवर जनरेटिंग कंपनी के एमडी मनजीत सिंह का कहना है कि  मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी के ताप विद्युत गृहों में कोयले की उपलब्धता के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे है. सभी स्त्रोतों से कोयला लेने की कोशिश हो रही है. कोल इंडिया व रेलवे से कोयले की सप्लाई के लिए बात की जा रही है. हमारी स्थिति सामान्य नहीं हैए लेकिन अन्य प्रदेशों की तुलना में हम बेहतर हैं. राजस्थानए कर्नाटक व पंजाब में कोयले की कमी से पावर कट लागू कर दिए गए हैं. कोयले की उपलब्धता के लिए ऐसे अभूतपूर्व प्रयास कर रहे हैंए जो इसके पूर्व कभी नहीं किए गए.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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