WCRMS शर्मा गुट ने पिता-पुत्र को किया बाहर, अधिवेशन मेें नहीं पहुंचे कोई भी मंत्री

WCRMS शर्मा गुट ने पिता-पुत्र को किया बाहर, अधिवेशन मेें नहीं पहुंचे कोई भी मंत्री

प्रेषित समय :20:35:45 PM / Sat, Oct 16th, 2021

जबलपुर/सागर. वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ की अंदरूनी लड़ाई अब वर्चस्व के रूप में तब्दील हो गई है. दोनों ही गुट अपनी ताकत दिखा रहे हैं. वहीं पूरा मामला अब सड़क पर उतर गया है. महामंत्री अशोक शर्मा गुट ने शनिवार 16 अक्टूबर को सागर में कार्यकारिणी सहित वार्षिक अधिवेशन में अध्यक्ष आरपी भटनागर और उनके बेटे कार्यकारी अध्यक्ष अमित भटनागर को संघ विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हुए बाहर कर दिया. उधर, भटनागर गुट ने 17 अक्टूबर रविवार को इटारसी में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है.

डब्ल्यूसीआरएमएस के कार्यकारी अध्यक्ष सीएम उपाध्याय और महामंत्री अशोक शर्मा की अगुवाई में सागर में वार्षिक अधिवेशन, सामान्य सभा व कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में प्रदेश सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव को भी बुलाया गया था, लेकिन वे नहीं पहुंचे. बैठक में जबलपुर सहित सभी जिलों से संगठन से जुड़े रेल कर्मचारी पहुंचे थे.

नोटिस का नहीं दिया पिता-पुत्र ने कोई जवाब

प्रवक्ता सतीष के मुताबिक कार्यकारिणी के समक्ष अध्यक्ष आरपी भटनागर और उनके बेटे एवं कार्यकारी अध्यक्ष अमित भटनागर के खिलाफ निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया गया. इस पर हाथ उठाकर सदस्यों ने समर्थन व्यक्त किया. पिता-पुत्र को संगठन में वंशवाद फैलाने, पैसों का व्यक्तिगत उपयोग करने सहित कई तरह के आरोप लगाए गए.
इससे पहले 7 अक्टूबर को वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाकर पिता-पुत्र को निलंबित किया गया था और कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए तीन दिन के अंदर स्पष्टीकरण मांगा था. पर पिता-पुत्र की ओर से कोई जवाब प्रस्तुत नहीं करने पर ये कदम उठाया गया है.

भटनागर गुट ने भी बुलाई कार्यकारिणी की बैठक

उधर, डब्ल्यूसीआरएमएस के अध्यक्ष आरपी भटनागर ने भी इटारसी में 17 अक्टूबर रविवार को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. इस बैठक से पूर्व 15 अक्टूबर को उनके बेटे अमित भटनागर का इस्तीफा आ चुका है. इसमें अमित ने संगठन के प्राथमिक सदस्यता के साथ सभी पद छोड़ दिया है. कार्यकारिणी की बैठक में महामंत्री अशोक शर्मा को निष्कासित किया जाएगा.

अशोक शर्मा के खिलाफ कई गंभीर आरोप

संघ की महिला महामंत्री सविता त्रिपाठी ने बताया कि अशोक शर्मा के खिलाफ कई तरह की शिकायतें अध्यक्ष के पास पहुंची है. आरोप लगाया कि उसी ने अमित भटनागर को कार्यकारी अध्यक्ष बनवाया था. अब वंशवाद का आरोप लगा रहे हैं. उन पर पैसे लेकर कर्मियों के ट्रांसफर कराने, पद दिलाने और गलत तरीके से संघ के खाते से 85 लाख रुपए निकालने का आरोप है. वह संगठन के सदस्यों को भ्रमित कर रहे हैं.

पद और पैसे की चाहत में दोनों गुट टकराए

रेलवे में डब्ल्यूसीआरएमएस और डब्ल्यूसीआरयू नाम से दो संगठन हैं. डब्ल्यूसीआरएमएस को जहां कांग्रेस समर्थित संगठन माना जाता है. वहीं डब्ल्यूसीआरयू वामपंथी मजदूर संगठन हैं. दोनों संगठनों में 55 से 60 हजार सदस्य हैं. इसमें डबलूसीआरईयू नबर वन संगठन हैं और उसके सर्वाधिक सदस्य हैं. आरपी भटनागर ने डब्ल्यूसीआरएमएस को आगे बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया. कभी अशोक शर्मा उनके सबसे विश्वस्त सहयोगियों में हुआ करते थे. जबलपुर आने पर सारी व्यवस्था अशोक शर्मा ही करते थे. पर ढलती उम्र और अमित भटनागर को मिल रही जिम्मेदारियों ने इस रिश्ते में खटास पैदा कर दिया.

संगठन का खाता हो चुका है सीज

10 अक्टूबर को आरपी भटनागर ने एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से मिलकर अशोक शर्मा के खिलाफ आर्थिक गड़बड़ी की शिकायत दी है. इसमें संगठन के खाते से पिछले 15 दिनों में 85 लाख रुपए निकालने का आरोप है. यहीं नहीं अशोक शर्मा ने ये रकम अपने अधिनस्थ काम करने वाले चपरासी राजाराम और दो महिला स्टाफ सिया पचौरी व निशा मालवे के खातों में ट्रांसफर की. फिर तीनों के खाते से यह राशि निकाली ली गई. बैंक स्टेटमेंट के साथ इसकी शिकायत दी गई है. अशोक शर्मा गुट का दावा है कि दीवाली के समय कर्मियों को बैग बांटा जाता है, उसी के लिए ये रकम निकाली गई है. पर आरबीआई की स्पष्ट गाइडलाइन है कि 20 हजार रुपए से अधिक का भुगतान चेक या आरटीजीएस के माध्यम से किया जाना चाहिए. ये गड़बड़ी अशोक शर्मा पर भारी पड़ सकता है. अभी इस खाते को सीज कर दिया गया है.

आगे क्या होगा

आरपी भटनागर और अशोक शर्मा गुट इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंच चुके हैं. कार्यकारिणी और सामान्य सभा की बैठक का हवाला दोनों गुट दे सकते हैं. कोर्ट या तो दोनों गुटों को अलग-अलग मान्यता देगी. या फिर इस प्रकरण को रजिस्ट्रार सोसाइटी को भेज सकती है. वहां दोनों गुट संगठन के संविधान के मुताबिक अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकते हैं. वहां वोटिंग भी हो सकती है. फिर तय होगा कि असल गुट कौन है. अधिक संभावना संगठन के दो फाड़ होने की अधिक है. पुलिस ने विवाद का हल निकलने तक जबलपुर का कार्यालय भी सील कर दिया है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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