इस्लामाबाद. आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की हालत और खस्ता होने वाली है. पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ मेमोरेंडम ऑफ इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल पॉलिसीज पर सहमति बनाने में नाकाम रहा है. इमरान खान सरकार को आईएमएफ के साथ 6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के एक्सटेंडेंट फंड फैसिलिटी के तहत स्टाफ-स्तरीय समझौते पर सहमति बनानी थी, इसके तहत एक अगली किश्त के रूप में एक अरब डॉलर दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
IMF के कर्मचारी अभी भी MEFP के तहत पाकिस्तान के व्यापक आर्थिक ढांचे से असंतुष्ट हैं और इस पर सहमति भी नहीं बनी है. ऐसे में इस्लामाबाद को उम्मीद है कि देश के वित्त सचिव वॉशिंगटन डीसी में अगले कुछ दिनों के लिए और रुक सकते हैं. ताकि इसके जरिए MEFP पर सहमति बनाई जा सके.
दूसरी ओर, सरकार ने बेसलाइन टैरिफ के लिए औसतन 1.39 रुपये प्रति यूनिट बिजली शुल्क बढ़ा दिया है. पेट्रोल के लिए पीओएल की कीमतों में 10.49 रुपये और डीजल के लिए 12.44 रुपये की बढ़ोतरी की गई है. शुक्रवार को पाकिस्तान सरकार ने अपने कार्यक्रम में बने रहने की IMF की मांग को पूरा करने के लिए बेस पावर टैरिफ में 1.39 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की. द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार, ये इजाफा नवंबर से प्रभावी हो जाएगा और वित्तीय वर्ष जून 2022 के अंत तक जारी रहेगा.
इमरान खान सरकार लगातार लोन चुकाने के लिए लोन लेती जा रही है. पाकिस्तान की संसद में इमरान खान सरकार ने कबूल किया था कि अब हर पाकिस्तानी के ऊपर अब 1 लाख 75 हजार रुपये का कर्ज है. इसमें इमरान खान की सरकार का योगदान 54901 रुपये है, जो कर्ज की कुल राशि का 46 फीसदी हिस्सा है. कर्ज का यह बोझ पाकिस्तानियों के ऊपर पिछले दो साल में बढ़ा है. यानी जब इमरान ने पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी तब देश के हर नागरिक के ऊपर 120099 रुपये का कर्ज था.
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