कोयले की कमी से वापी में 5 पेपर मिल अस्थायी रूप से बंद, हजारों कर्मचारी बेरोजगार

कोयले की कमी से वापी में 5 पेपर मिल अस्थायी रूप से बंद, हजारों कर्मचारी बेरोजगार

प्रेषित समय :10:46:13 AM / Thu, Oct 21st, 2021

नई दिल्ली. देश में कोयला की कमी का असर अब उद्योगों पर दिखने लगा है. वापी जीआईडीसी में कोयले की कमी के कारण पिछले एक महीने में पांच पेपर मिलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, जिससे एक हजार से अधिक कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं. वापी इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने संघर्षरत पेपर मिलों को बचाने के लिए कोयले की सुचारू आपूर्ति के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को प्रतिनिधित्व देने का फैसला किया है.

गुजरात पेपर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने कहा, पिछले कुछ दिनों में कोयले की कम आपूर्ति के कारण वापी में पांच पेपर मिल अस्थायी रूप से बंद हो गई हैं, जबकि कई अन्य अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं. बिजली की दरें अधिक हैं, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग बोझ है. लिग्नाइट कोयले की आपूर्ति सुचारू नहीं हुई तो आने वाले दिनों में और इकाइयां बंद हो सकती हैं. अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की नौकरियां चली गई हैं और उत्पादन भी कम हो गया है.

उद्योग सूत्रों के अनुसार राज्य में करीब 100 क्राफ्ट पेपर मिलें हैं, जिनमें से 40 वापी जीआईडीसी में हैं. ये मिलें गीले कागज को सुखाने के लिए इस्तेमाल होने वाली भाप उत्पन्न करने के लिए बॉयलर में कोयले का उपयोग करती हैं. सितंबर से कोयले की आपूर्ति कम हो रही है, जिससे पेपर मिलों में काम प्रभावित हो रहा है. एक पेपर मिल में लगभग 300 लोग कार्यरत हैं, जिनमें से अधिकांश अनुबंध के आधार पर हैं.

हर महीने 60 हजार मीट्रिक टन कोयले की खपत

अग्रवाल ने कहा, वापी जीआईडीसी में 40 पेपर मिलें हैं जो प्रति माह 60,000 मीट्रिक टन कोयले की खपत करती हैं. मिलों का वार्षिक कारोबार 2 लाख टन के उत्पादन के साथ लगभग 10,000 करोड़ रुपये है. पेपर मिलें इंडोनेशिया से आयातित कोयले का उपयोग करती हैं, जबकि कुछ स्थानीय लिग्नाइट कोयले का उपयोग करती हैं और कुछ दोनों के मिश्रण का उपयोग करती हैं.

चीन की खरीद से भारत में प्रभावित हुई कोयले की सप्लाई

इंडोनेशियाई कोयले का हाई ग्रॉस कैलोरिफिक वैल्यू है. चीन ने हाल ही में इंडोनेशिया से कोयले की खरीद शुरू की जिसके बाद भारत को आपूर्ति प्रभावित हुई. लिग्नाइट कोयले की आपूर्ति कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है.

आयातित कोलये के दाम में उछाल

अग्रवाल ने कहा कि आयातित कोयले की कीमत एक महीने पहले 5,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर अब 15,000 रुपये हो गई है. यह 20,000 रुपये प्रति टन को पार कर सकती है.

पहले हमें खरीद के दिन से 90 दिनों की क्रेडिट अवधि मिल रही थी, लेकिन अब व्यापारी स्थिति का फायदा उठाकर अग्रिम भुगतान की मांग कर रहे हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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