नई दिल्ली. जलवायु परिवर्तन की गंभीरता न समझने और उसके दुष्प्रभावों से निपटने के लिए निष्क्रियता दिखाना शायद ऑस्ट्रेलियाई सरकार को अब भारी पड़ेगा.
दरअसल टोरेस स्ट्रेट के जनजातीय मूलनिवासियों का नेतृत्व जलवायु परिवर्तन से अपने समुदायों के विनाश को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलियाई संघीय सरकार को अदालत ले जा रहा है.
इस घटनाक्रम में मुख्य भूमिका में टोरेस स्ट्रेट में ज़ेनदथ केस के गुडामालुलगल में बोइगू और साईबाई जैसे सुदूर द्वीपों के फ़र्स्ट नेशंस लीडर्स या मूलनिवासियों का नेतृत्व ऐसा कर रहा है.
26 अक्टूबर को दर्ज किये गए एक ऐतिहासिक मामले में, अभियोगी तर्क देंगे कि संघीय सरकार की कानूनी ज़िम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करे कि टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों को जलवायु संकट से नुकसान न पहुंचे. यह ऑस्ट्रेलिया में फर्स्ट नेशंस पीपल्स द्वारा लाई गई पहला क्लाइमेट क्लास एक्शन (जलवायु वर्ग कार्रवाई) है.
अगर यह सफल होता है तो, इस मामले में सभी ज़ेनादथ किस (टोरेस स्ट्रेट) समुदायों की रक्षा करने और ऑस्ट्रेलिया भर में अन्य समुदायों के तबाह करने से पहले जलवायु संकट को रोकने में मदद करने की क्षमता है.
“हमारे पूर्वज इन द्वीपों पर 65,000 से अधिक वर्षों से रह रहे हैं. लेकिन जलवायु संकट को रोकने में सरकार की विफलता का मतलब है कि हमारे द्वीप बाढ़ में डूब सकते हैं, हमारी मिट्टी नमक से बर्बाद हो सकती है और हमारे समुदायों क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर हो सकते हैं. क्लाइमेट रेफ्युजी (जलवायु शरणार्थी) बनने का अर्थ सब कुछ खोना है: हमारे घर, हमारी संस्कृति, हमारी कहानियां और हमारी पहचान. अगर आप हमारी मातृभूमि छीन लेते हैं, तो हम यह नहीं पहचानेंगे कि हम कौन हैं. देश और हमारे समुदायों, संस्कृति और आध्यात्मिकता को जलवायु परिवर्तन से बचाना और यह सुनिश्चित करना कि ऐसा न हो हमारी सांस्कृतिक ज़िम्मेदारी है,” अभियोगी पॉल कबाई ने कहा.
"मैं कल्पना नहीं कर सकता कि मुझे बोइगू छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है क्योंकि यह द्वीप मैं हूं और मैं यह द्वीप हूं. यहां 65,000 साल की दौलत और अनुभव है. बोइगू को खोने का मतलब उसे खोना होगा. यदि आप हमें इस द्वीप से दूर ले जाते हैं तो हम कुछ भी नहीं रहेंगे. यह स्टोलेन जनरेशन (चोरी की गई पीढ़ी) की तरह है, आप लोगों को उनकी आदिवासी भूमि से दूर ले जाते हैं, वे कोई भी नहीं बन जाते हैं,” अभियोगी पबाई पबाई ने कहा.
टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर समुदाय जलवायु संकट की फ्रंटलाइन पर हैं और कोयले, तेल और गैस के दहन से बढ़ते समुद्र के स्तर के कारण अस्तित्वगत संकट की चुनौती का सामना कर रहे हैं. यदि वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि होती है तो गुडामालुलगल में कई द्वीप रहने लायक़ नहीं रह जाएंगे. टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग ऑस्ट्रेलिया के पहले जलवायु रेफ्युजी बन जाएंगे.
बोइगू और साईबाई के पारंपरिक मालिक[1] [पबाई और पॉल] दालत से ऐसे आदेश की मांग कर रहे हैं जो संघीय सरकार को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती करके अपने समुदायों को इस नुकसान से बचाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता रखता है.
टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों का अदालतों के माध्यम से अपने अधिकारों के लिए लड़ने का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है.
मुकदमे को जनहित समर्थन संगठन, ग्राटा फंड और उर्जेंडा फाउंडेशन के अंतरराष्ट्रीय जलवायु कानून विशेषज्ञों द्वारा समर्थन दिया जा रहा है. मामला को क्लास एक्शन (वर्ग कार्रवाई) और जनहित कानून स्पेशलिस्ट लॉ फर्म, फ़ाय फिन्नी मैकडॉनल्ड द्वारा कंडक्ट किया जाएगा, और अदालत में अभियोगियों का प्रतिनिधित्व फ़िओना मैकलौड एससी द्वारा किया जायेगा.
"देश भर के लोग, और विशेष रूप से फर्स्ट नेशंस के समुदायों को, जलवायु संकट को गंभीरता से लेने में सरकार की विफलता से पहले से ही नुकसान हो रहा है. अपने समुदायों की ओर से एक स्टैंड लेते हुए पॉल और पबाई का समर्थन करने पर हमें गर्व है . हर कोई अदालत में अपने अधिकारों की रक्षा करने का हकदार है और हमें विश्वास है कि उनके पास एक महत मामला है जो इतिहास रच सकता है,” इसाबेल रेनेक, संस्थापक और कार्यकारी निदेशक, ग्राटा फंड ने कहा.
"ऑस्ट्रेलियाई सरकार का पॉल, पबाई और सभी टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर्स के लिए कानूनी कर्तव्य है कि वे उनकी भूमि, संस्कृति और पहचान को नष्ट न करें. पॉल और पाबाई यह एक्शन ऑस्ट्रेलिया को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को उस स्तर तक कम करने की आवश्यकता के लिए लाए हैं जो टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर्स को जलवायु परिवर्तन रेफ्युजी बनने से रोक सके. फ़ाय फिन्नी मैकडॉनल्ड को उनकी मातृभूमि को बचाने की लड़ाई के लिए पॉल और पाबाई का प्रतिनिधित्व करने पर गर्व है,” ब्रेट स्पीगल, फ़ाय फिन्नी मैकडॉनल्ड ने कहा.
"जब हमने नीदरलैंड में अपना मुकदमा शुरू किया तो एक विचार था कि इस तरह का मामला असंभव था और इसमें सफलता का कोई मौका नहीं था. लेकिन हमारी जीत हुई, और इसने सरकार को उत्सर्जन को कम करने के लिए नीतियों के व्यापक सेट को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिसमें महत्वपूर्ण रूप से, कोयले से चलने वाले बिजली स्टेशनों को बंद करना शामिल था. हम बहुत आशावादी हैं कि ऑस्ट्रेलिया में भी ऐसा ही किया जा सकता है,” डेनिस वान बर्केल, कानूनी सलाहकार, उर्जेंडा फाउंडेशन ने कहा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-उत्तराखंड ने मानसून नहीं, जलवायु परिवर्तन की मार झेली है !
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