पेशे से मानसिक रोगों की थेरेपिस्ट विक्टोरिया के पास ज्यादा ड्रेसेज़ हैं. उन्होंने इन सभी ड्रेसेज़ को मेन ब्रांच से नहीं खरीदकर चैरिटी शॉप्स से खरीदा है. चैरिटी की गई ड्रेसेज़ की कीमत ओरिजनल पीस से बेहद कम होती है क्योंकि पहले इन्हें कोई पहन चुका होता है.
3 बच्चों की मां विक्टोरिया ने साल 1989 से ही चैरिटी शॉप्स से कपड़े खरीदने की शुरुआत की. तब से लेकर अब तक उन्होंने £500 की शॉपिंग कर डाली है और उनकी वॉर्डरोब में £5,000 कीमत के कपड़े मौजूद हैं.
55 साल की विक्टोरिया का कहना है कि वो पढ़ाई के दौरान पैसे कम होने की वजह से सेकेंड हैंड शॉपिंग करने लगी थीं. उस वक्त से ही उन्होंने अपनी ये आदत जारी रखी. अब उनके 95 फीसदी कपड़े ही सेकेंड हैंड शॉपिंग से खरीदे हुए हैं.
हालांकि उतरन खरीदने और पहनने से जुड़ी एक बड़ी दिक्कत वे बताती हैं कि इन कपड़ों से बदबू आती रहती है. हाईस्ट्रीट स्टोर्स के कपड़े सेकेंड हैंड लेने पर इनके दाम भले ही कम हो जाते हैं लेकिन लुक वैसा ही रहता है. विक्टोरिया का मानना है कि कपड़ों से बदबू आने के बाद भी अगर वे अच्छे होते हैं तो वे उन्हें ले लेती हैं.
विक्टोरिया हफ्ते में 2 दिन चैरिटी शॉप पर जाती हैं और वहां घंटों बिताकर अपने लिए सही कपड़े खरीद लेती हैं. उन्हें ये बताना और दिखाना अच्छा लगता है कि थोड़े पैसों में भी अच्छा दिखा जा सकता है.
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