कोच्चि. सबरीमाला में प्रसाद में हलाल गुड़ के इस्तेमाल संबंधी खबरें निराधार हैं और लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. यह जानकारी त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड ने गुरुवार को केरल उच्च न्यायालय को दी. बोर्ड ने बताया कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा मंदिर में प्रसादम तैयार करने के लिए हलाल गुड़ का इस्तेमाल किए जाने की खबरें निराधार हैं. मंदिर का प्रबंधन करने वाले टीडीबी ने एक याचिका का जवाब देते हुए उन आरोपों को खारिज कर दिया, जिसमें मंदिर में प्रसाद के रूप में पेश किए जाने वाले ‘अरवाना पायसम’ और ‘अप्पम’ की तैयारी में ‘हलाल गुड़’ के कथित इस्तेमाल को बंद करने की मांग की गई थी.
सबरीमाला कर्म समिति के सामान्य संयोजक और याचिकाकर्ता, एसजेआर कुमार ने केरल में टीडीबी और खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय को अशुद्ध हलाल गुड़ से बने ‘अरवाना’ और अप्पम के वितरण को रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की थी. अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि सबरीमाला मंदिर में निवेद्यम-प्रसाद की तैयारी के लिए इसका आगे उपयोग नहीं करने के लिए निर्देश जारी होने चाहिए. सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में भक्तों को अरवाना, गुड़ और चावल से बना पायसम और मीठे चावल और गुड़ पर आधारित अप्पम प्रसाद दिया जाता है.
टीडीबी ने हाई कोर्ट को बताया कि गुड़ को महाराष्ट्र की एक कंपनी से खरीदा गया था. पम्पा में गुड़ की गुणवत्ता की जांच होती है और उसके बाद ही मंदिर के अधिकारियों द्वारा गुड़ को स्वीकार किया जाता है. टीडीबी ने कहा कि गुड़ 2019 और 2020 में खरीदा गया था, लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण इसका उपयोग नहीं हो पाया था. बोर्ड ने कहा कि इस साल जब सितंबर में इसकी गुणवत्ता जांच की गई तो पाया गया कि ये गुड़ मानव उपभोग के लिए ठीक नहीं है. इसके बाद इस गुड़ की नीलामी कर दी गई. इस गुड़ से पशु चारा तैयार किया जाता है, इसके लिए गुड़ की नीलामी की गई थी.
अपने जवाब में, टीडीबी ने बताया कि 2020 में खरीदे गए गुड़ के बोरों में से कुछ में हलाल प्रमाणीकरण किया था. जब पूछताछ की गई, तो आपूर्तिकर्ता ने कहा था कि निर्यात उद्देश्यों के लिए ऐसे प्रमाणीकरण की आवश्यकता थी. निर्यात के लिए इस प्रकार के कुछ बोरे सबरीमाला मंदिर के लिए गुड़ के साथ मिल गए थे. टीडीबी ने कहा कि हलाल प्रमाणीकरण के साथ चिह्नित बोरियों वाले गुड़ का उपयोग मंदिर में प्रसादम तैयार करने में नहीं किया गया था.
टीडीबी ने आगे कहा कि प्रसाद की बिक्री को कम करने के लिए ऐसी झूठी खबरें बनाई गई हैं. टीडीबी और खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय ने भी उच्च न्यायालय को बताया है कि धार्मिक प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गुड़ की गुणवत्ता का परीक्षण पंपा की प्रयोगशाला में किया जा रहा था. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को काउंटर दाखिल करने के लिए सोमवार तक का समय दिया है. टीडीबी ने कहा है कि वह सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दुष्प्रचार में लिप्त पाए जाने वालों के खिलाफ आईटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा. मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए वार्षिक दो महीने तक चलने वाले मंडलम-मकरविलक्कू तीर्थयात्रा की शुरुआत में ही विवाद शुरू हो गया है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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