प्रदीप द्विवेदी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बावजूद, एमएसपी पर कानून बनाने सहित छह प्रमुख मांगों को लेकर किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली-एनसीआर के बॉर्डर पर डटे हुए हैं.
खबर है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसान आंदोलन का एक वर्ष पूरा होने पर संयुक्त किसान मोर्चा 26 नवंबर 2021 को दिल्ली-एनसीआर के चारों बॉर्डर- शाहजहांपुर, टिकरी, सिंघु और गाजीपुर, पर सभाएं करेगा, तो 29 नवंबर 2021 से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने पर 500 ट्रैक्टर से किसान संसद तक मार्च निकालेंगे.
पीएम मोदी के एलान के बाद किसानों ने सबसे बड़ी जीत तो दर्ज करवा ली है, मतलब- मूल मिल गया है, लेकिन जुर्माना अभी बाकी है!
यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार ने अपनी ओर से सियास संघर्ष विराम की घोषणा कर दी है, परन्तु किसान आंदोलन पूरी तरह से समाप्त करवाने के लिए अभी भी कम-से-कम छह मांगे ऐसी हैं, जिन पर भी मोदी सरकार को संतोषजनक निर्णय करना ही होगा? ये हैं....
एक- एमएसपी, अर्थात.... न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाया जाए.
दो- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं.
तीन- बिजली से संबंधित मुद्दे दूर हों और प्रस्तावित विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक, 2020/2021, का ड्राफ्ट मोदी सरकार वापस ले.
चार- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के मद्देनजर आयोग अधिनियम, 2021 में किसानों को सजा देने के प्रावधान हटाए जाएं.
पांच- लखीमपुर खीरी हत्याकांड मामले में सेक्शन 120 बी के आरोपी अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त और गिरफ्तार किया जाए.
छह- पिछले एक साल से जारी आंदोलन के दौरान 700 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं, लिहाजा पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे और पुनर्वास की व्यवस्था की जाए एवं शहीद किसानों स्मृति में एक शहीद स्मारक बनाने के लिए सिंधु बार्डर पर जमीन उपलब्ध करवाई जाए.
सियासी सयानों का मानना है कि पीएम मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर जो ऐलान किया है, उसमें बहुत देर कर दी है, इसलिए अब इसका कोई बड़ा फायदा नहीं है, उल्टे इसने तो जहां आंदोलनकारियों को नया उत्साह दे दिया है, वहीं सरकार समर्थकों को निराश किया है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-#ShekharGurera #Cartoon for 23.11.2021
— Shekhar Gurera (@GureraShekhar) November 22, 2021
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