नजरिया. किसान आंदोलन को लेकर पिछले एक साल में मोदी सरकार ने जितनी लापरवाही दिखाई, अब उतनी ही तेजी से किसान आंदोलन से मोदी सरकार मुक्ति चाहती है और इसीलिए लगातार एकतरफा फैसले ले रही है?
लेकिन.... बड़ा सवाल यह है कि किसानों की मांगे पूरी होने पर आंदोलन तो खत्म हो जाएगा, परंतु किसान आंदोलन के दौरान मोदी सरकार के प्रति किसानों की जो धारणा बनी है, उसे कैसे खत्म करेंगे?
खबर है कि भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि- हमारा आंदोलन पहले की तरह जारी रहेगा, मंगलवार को होने वाली बैठक में आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए हमारे अगले कार्यक्रमों पर निर्णय लिया जाएगा.
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि अब तक न तो केंद्र और न ही किसी राज्य सरकार ने समिति को बुलाया है, अभी तक कोई बातचीत नहीं हुई है, मंगलवार को संयुक्त मोर्चा की बैठक है, जबकि आज पांच सदस्यीय समिति की बैठक हुई, पारदर्शी वार्ता के लिए नौ सदस्यीय कमेटी भी बुलाई गई है.
याद रहे, किसानों ने सरकार से वार्ता के लिए एक कमेटी बनाई है, जो सरकार से बात कर किसानों की मांगों पर निर्णय करवाएगी किंतु सरकार ने अभी तक उस पर ध्यान नहीं दिया है.
यही वजह है कि किसानों की कई मांगे मानने के बावजूद किसान आंदोलन जारी है.
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि किसानों से बातचीत किए बगैर सरकार एकतरफा फैसले लेती रही तो किसान आंदोलन खत्म कराने की कोशिश बेअसर साबित हो सकती है!
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-खत्म हो सकता है किसान आंदोलन, 32 संगठन वापसी को तैयार, कहा- अब कोई बहाना नहीं बचा, बुधवार को मीटिंग
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