नई दिल्ली. केरल में 75 प्रतिशत पुरुष और 72 प्रतिशत महिलाएं ऐसा मानती है कि सेक्स को ‘ना’ कहने का अधिकार पत्नी को है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कराए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है. इसमें महिलाओं की अपेक्षा अधिक पुरुषों ने यह स्वीकार किया है कि पत्नी का ‘नहीं’ कहना उचित है जब वह थकी हुई हो, यदि उसकी इच्छा नहीं हो या फिर उसका पति विश्वासघाती हो या उसे यौन संचारित रोग (एसटीडी) हो.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की सर्वेक्षण रिपोर्ट 2019-20 ने अपने खंड ‘जेंडर रोल एटिट्यूड’ में कहा है कि केरल में 75 प्रतिशत पुरुषों और 72 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि पत्नी का अपने पति के साथ यौन संबंध बनाने से इनकार करना उचित है. वहीं, सर्वे में यह भी पाया गया है कि 31 प्रतिशत पुरूष मानते हैं कि यदि पत्नी उन्हें सेक्स करने से मना कर देती है तो उन्हें दूसरी महिला के साथ संबंध बनाने का अधिकार है. इन्हीं 31 फीसद पुरुषों ने यह माना है कि उन्हें पत्नी पर गुस्सा करने, आर्थिक मदद से वंचित करने और मना करने पर जबरन सेक्स करने का अधिकार है.
यह राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण एक देश व्यापी सर्वे है जो केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत अंतरराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान के साथ किया जाता है. एनएफएचएस की रिपोर्ट में डेटा विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि पुरुषों की तुलना में केरल की महिलाएं अधिक सहमत है कि यदि यौन संबंध बनाने से इनकार करती है तो पत्नी को पीटा जाए. केरल में कुल 13.1 फीसदी विवाहित महिलाओं का मानना है कि पत्नी के सेक्स से मना करने पर यदि पति उनको पीटता है तो यह सही है. वहीं इस तथ्य से केरल में केवल 10.4 प्रतिशत विवाहित पुरुष सहमत हैं.
इसके साथ चौंकाने वाली बात यह है कि 8.1 फीसद अविवाहित महिलाओं ने भी माना कि यदि पत्नी सेक्स से इनकार करती है तो उसकी पिटाई जायज है. सर्वे में यह भी बताया गया है कि पत्नी के ‘ना’ कहने पर केरल के 13.4 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि वे किसी अन्य महिला के साथ यौन संबंध बना सकते हैं. वहीं 24.6 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि वे गुस्सा हो सकते हैं और उसे फटकार सकते हैं. केरल में 9.2 फीसद पुरूष ऐसी परिस्थितियों में जबरन सेक्स करते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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