मुंबई. मुंबई की लेबर कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल को गैरकानूनी ठहरा दिया है. राज्य सरकार की सेवा में विलय की मांग को लेकर पिछले 83 दिनों से एमएसआरटीसी/एसटी कर्मचारी हड़ताल पर हैं. कोर्ट के इस फैसले से राज्य परिवहन निगम के 65 हजार से अधिक कर्मचारियों को झटका लगा है. इस हड़ताल को गैरकानूनी ठहराए जाने की अपील करते हुए निगम ने अलग-अलग लेबर कोर्ट में जाकर शिकायत दर्ज करवाई थी और कर्मचारियों के सभी संगठनों को प्रतिवादी ठहराया था. इस पर मुंबई के बांद्रा स्थित श्रम न्यायालय में सोमवार को सुनवाई हुई.
औद्योगिक विवादों से संबंधित कानूनों के तहत जनता से जुड़ी सेवा के कर्मचारियों को अगर हड़ताल करनी हो तो इससे छह हफ्ते पहले इसकी सूचना देना जरूरी है. लेकिन फिलहाल जो हड़ताल चल रही है, उसमें ऐसी कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी. इस सुनवाई में एमएसआरटीसी की ओर से एडवोकेट गुरुनाथ नाइक ने दलीलें पेश कीं जबकि कर्मचारियों की ओर के वकील गैरहाजिर रहे.
एमएसआरटीसी की ओर से कर्मचारियों को कहा गया है कि लेबर कोर्ट द्वारा हड़ताल को गैरकानूनी ठहराए जाने के बाद भी हड़ताल करते रहने का अब कोई मतलब नहीं रह गया है. इसलिए कर्मचारियों के हित में यही है कि वे जल्दी से जल्दी काम पर आ जाएं और गैर कानूनी हड़ताल में सहभागी ना बनें. यह सूचना महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम के वाइस प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर शेखर चेन्नै के नाम से जारी की गई है.
इस बीच हड़ताल करने की सजा कर्मचारियों को लगातार मिलती रही है. सोमवार को भी निगम ने 304 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. अब तक कुल 3862 कर्मचारी बर्खास्त किए गए हैं साथ ही 11 हजार 24 कर्मचारी निलंबित किए गए हैं.यह जानकारी एमएसआरटीसी के द्वारा दी गई है. राज्य परिवहन निगम में कुल 92 हजार 266 कर्मचारी हैं. इनमें से 26 हजार 619 कर्मचारी काम पर लौट चुके हैं जबकि 65 हजार 647 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हैं. पिछले ढाई महीने से शुरू इस हड़ताल की वजह से आम लोगों को प्राइवेट बसों, मैक्सी कैब और जीपों में गैरवाजिब किराया देकर सफर करना पड़ रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-एमपी के बुरहानपुर में जिला प्रशासन ने सील की महाराष्ट्र सीमा, आरटी-पीसीआर टेस्ट पर बवाल
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के नाम पर वसूली, फेक कॉल ऐप से फिरौती मांगने के मामले में 6 अरेस्ट
Leave a Reply