कम रिस्क वाली डिलीवरी में नवजात को एंटीबायोटिक जरूरी नहीं - स्टडी

कम रिस्क वाली डिलीवरी में नवजात को एंटीबायोटिक जरूरी नहीं - स्टडी

प्रेषित समय :09:11:52 AM / Wed, Jan 26th, 2022

आमतौर पर अस्पतालों में नवजात बच्चों को जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक दिए जाते हैं, लेकिन एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि सभी बच्चों को इनकी जरूरत नहीं होती है. अमेरिका के सीएचओपी यानी चिल्ड्रंस हॉस्पिटल ऑफ फिलाडेल्फिया के रिसर्चर्स द्वारा की गई इस स्टडी में कहा गया है कि बिना जटिल सिजेरियन प्रक्रिया या बिना प्रसव पीड़ा के जन्मे और जिनमें संक्रमण की संभावना न हो, ऐसे नवजात बच्चों को जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती है. इस स्टडी का निष्कर्ष ‘पीडीऐट्रिक्स’  जर्नल में प्रकाशित किया गया है. आपको बता दें नवजात शिशुओं को अर्ली-ऑनसेट सेप्सिस होने का खतरा होता है, जो एक जानलेवा संक्रमण है जो जन्म के 72 घंटों के भीतर हो सकता है, ये बर्थिंग प्रोसेस (जन्म लेने की प्रक्रिया) के दौरान बैक्टीरिया के संपर्क में आने के कारण होता है. हालांकि, ईओएस किस नवजात को होगा, इसका अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है. विशेषज्ञों का मानना है कि नजवात बच्चों में एंटीबायोटिक का लंबा इस्तेमाल संभावित दीर्घकालिक परेशानियों सहित अन्य गंभीर विपरीत नतीजों से जुड़ा हुआ है.

क्या कहते हैं जानकार

इस स्टडी के मेन राइटर और सीएचओएपी के नियोनेटोलॉजिस्ट डॉ डस्टिन डी. फ्लैनरी का कहना है कि नवजात बच्चों में जन्म के साथ ही रोगाणुता की शुरुआत होने की आशंका के चलते उन्हें जन्म के तुरंत बाद एंटीबायोटिक देने में कुछ भी हैरत करने वाला नहीं है. हालांकि, हमारी स्टडी बताती है कि समय पूर्व जन्मे बच्चों सहित कम जोखिम भरी डिलीवरी से जन्मे बच्चों को एंटीबायोटिक नहीं दी जानी चाहिए.

ऐसे नवजातों में जन्म के वक्त संक्रमित होने की संभावना नहीं है और ऐसा करके इन्हें सिस्टमैटिक एंटीबायोटिक एक्सपोजर की संभावित कॉम्प्लिकेशंस से बचाया जा सकता है.

कैसे हुई स्टडी

क्योंकि नवजात डिलीवरी के दौरान ही बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं, तो रिसर्चर्स ने ये देखने के लिए कि क्या वे ईओएस (EOS) के कम जोखिम वाले नवजातों की पहचान कर सकते हैं, उन्होंने डिलीवरी से जुड़े लक्षणों का विश्लेषण करने का फैसला किया. 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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