पेरिस. भारत की तरह ही फ्रांस में भी इस समय हिजाब को लेकर सियासत गरमाई हुई है. इस बीच खेल प्रतियोगिताओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाने वाला एक मसौदा विधेयक तैयार किया गया है, जिस पर कानून बनाने के लिए सीनेट में बुधवार को वोटिंग कराई जाने की बात कही गई. हालांकि सीनेट ने वोटिंग करवाने से साफ इनकार कर दिया, जिसके बाद अब फ्रांस की नेशनल असेंबली में इसे पारित करवाया जाएगा. बिल में कहा गया है कि खेल संघों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों व प्रतियोगिताओं में विशिष्ट धार्मिक प्रतीकों को पहनना निषिद्ध है. हालांकि, इस कदम का राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की मध्यमार्गी सरकार और उसके सहयोगियों की ओर से विरोध किया गया है, जिन्हें नेशनल असेंबली में बहुमत हासिल है. उनके पास अंतिम वोट है.
सार्वजनिक रूप से पहने जाने वाले धर्म और धार्मिक प्रतीकों का फ्रांस में एक लंबे समय से विवाद का विषय है, जो एक कट्टर धर्मनिरपेक्ष देश है और यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम अल्पसंख्यक यहां रहते हैं. फ्रांसीसी समाज में पहचान और इस्लाम का स्थान अप्रैल के राष्ट्रपति चुनाव से पहले बड़े मुद्दे बने हुए हैं, जिसका असर राष्ट्रपति के चुनाव में देखने को मिल सकता है.
वहीं, भारत के कर्नाटक मे भी हिजाब का मुद्दा गरमाया हुआ है. यहां एक शैक्षणिक संस्थान में हिजाब पहने पहुंची महिलाओं को क्लासरूम में घुसने न देने की बात सामने आई थी, जिसके बाद विवाद बढ़ गया था और जमकर प्रदर्शन किए गए हैं. कुछ लोगों का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म को वरीयता दी जाए न हिजाब को, जबकि कुछ का मानना है कि ये लोगों का व्यक्तिगत मामला है उन्हे क्या पहनना है और क्या नहीं इसे उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए.
मैक्रॉन की सरकार ने संशोधन की निंदा की थी. निचले सदन में उनकी पार्टी और उसके सहयोगियों के बहुमत को देखते हुए संशोधन को व्यापक विधेयक से हटाए जाने की संभावना है. नागरिकता के लिए कनिष्ठ मंत्री मार्लीन शियाप्पा ने मंगलवार को कहा था, हमारा दुश्मन कट्टरपंथी इस्लामाबाद है, इस्लाम नहीं. फ्रांस 2024 में समर ओलंपिक की मेजबानी करेगा. दक्षिणपंथी सीनेटर स्टेफेन पीडनॉयर ने कहा कि ओलंपिक चार्टर राजनीतिक और धार्मिक तटस्थता के लिए प्रदान करता है.
पीडनॉयर ने ऊपरी सदन को बताया. हम धर्मनिरपेक्षता से समझौता नहीं कर सकते और फ्रांस ओलंपिक आंदोलन को कम नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि बिल सभी महिलाओं को बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी प्रतीक के प्रतियोगिताओं में भाग लेने की अनुमति देने के लिए डिज़ाइन किया गया. ओलंपिक चार्टर में कहा गया है कि किसी भी ओलंपिक साइट, स्थान या अन्य क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के प्रदर्शन या राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय प्रचार की अनुमति नहीं है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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