नई दिल्ली. पांच राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी के कई नाराज़ नेताओं ने अब पुराने दिग्गजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कहा जा रहा है कि अब संगठन में बदलाव के साथ-साथ पार्टी की निगाहें हिमाचल प्रदेश और गुजरात पर टिकी हैं. इन दो राज्यों में चुनाव इस साल के आखिर में होने हैं. वैसे देश में अब सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की अपनी सरकार है. बाक़ी कुछ राज्यों में पार्टी ने सत्ताधारी दल को समर्थन दे रखा है.
कांग्रेस देश के नक्शे से सिमटती दिख रही हे. सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की अपनी सरकार है. कांग्रेस ने महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार को समर्थन दे रखा है. झारखंड में कांग्रेस JMM सरकार की सहयोगी पार्टी है. तमिलनाडु में DMK का राजनीतिक सहयोगी है, लेकिन सीएम एमके स्टालिन के नेतृत्व वाले मंत्रालय का हिस्सा नहीं है. देश के राजनतिक मंच पर कांग्रेस का हाल पहले से ही बुरा था. लेकिन अब पांच राज्यों में करारी हार ने पार्टी को राजनीतिक हाशिए पर पहुंचा दिया है. बीजेपी ने उनके सपने को गोवा और उत्तराखंड में चकनाचूर कर दिया. जबकि पंजाब में आम आदमी पार्टी की झांड़ू ने कांग्रेस का सफाया कर दिया. लोकसभा में अब कांग्रेस के सिर्फ 53 सांसद हैं. जबकि राज्यसभा में भी सांसदों की संख्या लगातार घट रही है.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने दिसंबर 2018 के चुनाव में छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान में जीत हासिल की. उम्मीदें जगी. लेकिन एक बार फिर से पार्टी को झटके लगने लगे. मध्यप्रदेश में सत्ता छीन गई. कर्नाटक में भी यही हाल रहा. बड़ी संख्या में कांग्रेस के विधायक भाजपा में शामिल हो गए. पंजाब में आप की जीत के बाद कांग्रेस में खलबली मच गई है. अरविंद केजरीवाल की पार्टी कांग्रेस को हटाकर राष्ट्रीय स्तर पर मुख्य विपक्षी पार्टी बनने का सपना देख रही है. ऐसे में कांग्रेस के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव जीतना बेहद अहम हो गया है. पिछली बार कांग्रेस का गुजरात में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा था. इसके अलावा पार्टी को हिमाचल में लोकसभा चुनाव में अच्छी खासी जीत मिली थी. इसके अलावा कांग्रेस ने उपचुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था.
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