वन रैंक वन पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को रखा बरकरार, कहा- इसमें कोई कमी नहीं

वन रैंक वन पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को रखा बरकरार, कहा- इसमें कोई कमी नहीं

प्रेषित समय :12:50:12 PM / Wed, Mar 16th, 2022

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज वन रैंक वन पेंशन मामले में अपना फैसला सुना द‍िया है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सरकार का ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का फैसला मनमाना नहीं है और न ही किसी संवैधानिक कमी से ग्रस्त है. इस पीठ में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ भी शामिल थे. देश की सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि OROP की लंबित पुनर्निर्धारण प्रक्रिया एक जुलाई, 2019 से शुरू की जानी चाहिए और तीन महीने में बकाया राशि का भुगतान किया जाना चाहिए.

इस मामले में 16 फरवरी को पिछली सुनवाई हुई थी, ज‍िसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति OROP नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है जबकि इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को मिला नहीं है. बता दें कि पूर्व सैनिकों की एक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस नीति से वन रैंक वन पेंशन का मूल उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है. इसकी हर साल समीक्षा होनी चाहिए, लेकिन इसमें पांच साल में समीक्षा का प्रावधान है. अलग-अलग समय पर रिटायर हुए लोगों को अब भी अलग पेंशन मिल रही है.

बीते महीने याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी भारतीय पूर्व सैनिक आंदोलन की ओर से पेश हुए थे. पीठ ने कहा था कि जो भी फैसला लिया जाएगा, वह वैचारिक आधार पर होगा न कि आंकड़ों पर. पीठ ने अपनी टिप्पणी करते हुए कहा था कि योजना में जो गुलाबी तस्वीर पेश की गई थी, वास्तविकता उससे अलग है.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 7 नवंबर 2011 को एक आदेश जारी कर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने का फैसला लिया था, लेकिन इसे 2015 से पहले लागू नहीं किया जा सका. इस योजना के दायरे में 30 जून 2014 तक सेवानिवृत्त हुए सैन्यबल कर्मी आते हैं. सुप्रीम कोर्ट के 2014 में संसदीय चर्चा बनाम 2015 में वास्तविक नीति के बीच विसंगति के लिए केंद्र सरकार ने पी चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया. केंद्र ने 2014 में संसद में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बयान पर विसंगति का आरोप भी लगाया.
 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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