बेंगलुरू. केरल की जानी-मानी मोहिनीअट्टम नृत्यांगना डॉक्टर नीना प्रसाद का डांस पलक्कड़ के जिला जज कलाम पाशा ने रुकवा दिया. वह भी बीच कार्यक्रम में पुलिस भेजकर. इससे केरल (Kerala) में नया विवाद शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी ने तो इसे राज्य में तालिबानीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश करार दिया है. घटना इसी 19 मार्च की है. पलक्कड़ के शासकीय मोयन एलपी स्कूल के सभागार में केरल के जाने-माने लेखक श्रीचित्रम एमजे की किताब का लोकार्पण था.
इसके बाद डॉक्टर नीना प्रसाद का नृत्य कार्यक्रम था. इस स्कूल के पीछे ही जिला जज कलाम पाशा रहते हैं. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान बज रहे संगीत से होने वाली परेशानी का हवाला देते हुए पुलिस को सूचना दी. साथ ही कार्यक्रम को रुकवाने के लिए कहा. इसके बाद पुलिस ने बीच कार्यक्रम में आकर डॉक्टर नीना प्रसाद का नृत्य रुकवा दिया था.
डॉक्टर नीना प्रसाद ने खुद फेसबुक पोस्ट के जरिए इस बारे में जानकारी साझा की है. उन्होंने इसमें बताया है, ‘मैं कार्यक्रम के दौरान ‘सख्यम’ की थीम पर प्रस्तुति दे रही थी. इसमें भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन की मित्रता के प्रसंग को दिखाया जाता है. साथ में वॉयलिन, मृदंगम जैसे कोमल वाद्य यंत्र बज रहे थे. मैंने इस प्रस्तुति के दौरान दूसरा प्रसंग ही पूरा किया था. इसके बाद सख्यम-भाव का चरम आने को था कि तभी आयोजकों ने मुझसे कार्यक्रम रोक देने का आग्रह किया. मैंने कारण जानना चाहा तो बताया गया कि पुलिस आई है. जज साहब ने इस कार्यक्रम से हो रही परेशानी की शिकायत की है. यह सुनकर मेरा दिल भर आया. आंखों में आंसू आ गए.
आज तक मेरे कार्यक्रम के दौरान कभी ऐसा नहीं हुआ. यह मुझे बेहद अपमानजनक लगा. ये मेरा ही नहीं पूरे केरल, हमारे देश और उसकी संस्कृति का अपमान है. यह मेरे जीवन का सबसे दुखद अनुभव है.’ इस घटना के सामने आने के बाद भाजपा की केरल इकाई के अध्यक्ष वी मुरलीधरन ने ट्वीट किया. इसमें लिखा, ‘केरल में मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन की अगुवाई में तालिबानीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है. यह घटना उसका एक और उदाहरण है. वामपंथी सरकार के राज में कलाकारों को कला के प्रदर्शन की कोई इजाजत नहीं.’ इस मामले में पलक्कड़ से ही ताल्लुक रखने वाले केरल विधानसभा के अध्यक्ष एमबी राजेश ने भी आपत्ति जताई है. उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है. कलाकार का अपमान है. न्यायाधीश जैसे गरिमामय पद पर बैठे पाशा को इस तरह की कार्रवाई का आदेश देना शोभा नहीं देता.’
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