नई दिल्ली. पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 10 रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी के बाद कंपनियों ने अपने हाथ फिलहाल रोक लिए हैं. उपभोक्ताओं को मिली इस राहत के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार के बयान ने चिंताएं फिर बढ़ा दी हैं.
CEA वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि अगर ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम 110 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाते हैं तो इसका बोझ सरकार, तेल विपणन कंपनियों और उपभोक्ताओं को मिलकर उठाना होगा. अभी घरेलू बाजार में तेल की कीमतें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि विभिन्न कारणों से ग्लोबल मार्केट में सप्लाई पर असर पड़ा है और कंपनियां भी बाहर से महंगा तेल मंगा रही हैं. नागेश्वरन ने कहा कि ग्लोबल सप्लाई पर संकट की वजह से ये स्थितियां पैदा हुई हैं और इस महंगाई को झेलना किसी एक के बस की बात नहीं है. इसीलिए मैं कहा रहा हूं कि अगर क्रूड के दाम 110 डॉलर के ऊपर बने रहे तो इसका बोझ सरकार के साथ तेल कंपनियों और आम लोगों को भी सहना होगा. सरकार भी अपनी तरफ से राहत देने की पूरी कोशिश करेगी और जिसमें टैक्स कटौती जैसे कदम भी शामिल हैं.
मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर सरकार की ओर से लिया जाने वाला टैक्स दूसरी राहत योजनाओं में इस्तेमाल हो रहा है. सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का दायरा बढ़ाया है, ताकि देश के गरीबों-मजदूरों को मुफ्त राशन की सुविधा कुछ और समय तक दी जा सके. बावजूद इसके पिछले साल नवंबर में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये तक घटा दिया था, जिससे सभी उपभोक्ताओं को सीधी राहत मिली. क्या दोबारा उत्पाद शुल्क कटौती से सरकार के राजस्व पर असर पड़ेगा, इस सवाल पर उन्होंने का कि यह कटौती की मात्रा पर निर्भर करता है. सीईए ने रिजर्व बैंक की ओर से लगातार 11वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने के फैसले पर तो कुछ नहीं कहा लेकिन अमेरिकी फेड रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने के संकेतों पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि फेड रिजर्व का यह बयान चौंकाने वाला है कि आने वाले समय में ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी की जाएगी.
फेड की मानें तो वह 2023 के अंत तक 2.75 फीसदी ब्याज बढ़ा सकता है. पहली तिमाही खत्म होने तक फेड रिजर्व की दो मीटिंग हो जाएगी. अगर फेड ने मई और जून की बैठक में ब्याज दरें बढ़ाई तो इसका असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर दिखेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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