विवाह संतान पर लग्नेश का प्रभाव---विवाह संतान दोनों भावों पर लग्नेश ग्रह का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, अतः कुंडली मिलान में लग्नेश का ध्यान अवश्य करें! लग्नेश में लग्न वक्री हो तो अस्त हो क्रूर हो पाप ग्रह हो, शत्रुग्रही हो तो गृहस्थ सुख में हानि करता है, संतान हीन, संतान हानी, संतान रोगी, मूर्ख, दुष्ट वगैरह होती है.
विवाह संतान पर राशि का प्रभाव---लग्न से छठी आठवीं जन्म राशि हो और राशि शत्रु ग्रही वक्री अस्त हो अथवा राशि ग्रह निर्बल हो या नीच हो, कुंडली मिलान दोष हो या नवपंचम दोष हो तो संतान सुख दुर्लभ हो जाता है.
जन्म नक्षत्र का विवाह संतान पर प्रभाव------जन्म नक्षत्र गण्डमूल हो या पंचक दोष हो, या नक्षत्र गन्डांत हो, या नक्षत्र मन्द हो.
राहु केतु ----जैसे मंगली दोष, शनिचरी दोष का प्रभाव शरीर पर, विवाह पर पड़ता है वैसे ही संतान पर भी राहु केतु का भी असर पड़ता है, शास्त्र के साथ साथ अनुभव में भी आया है क्योंकि राहु केतु क्रूर ग्रह माने गये हैं.
शनि मंगल की तरह राहु केतु भी, 1,4,5,7,8,12 इन भावों में अधिक अनिष्टकारक बन जाते हैं, अतः विवाह संतान पर (गृहस्थी सुख में) विशेष हानिप्रद है.
खासकर लड़की की कुंडली में पांचवे घर में राहु हो तो बार बार गर्भपात होता है एवं पांचवे केतु भी बांझपन कारक होता है! इसी तरह 07 वे घर में राहु मासिक धर्म को बिगाड़ता है! आठवें राहु सिर दर्द आयु कमजोर एवं 12 वें राहु लगड़ा लूला चोट फोट लगता- साथ ही दरिद्री योग बन जाता है.
विवाह से पूर्व जन्मपत्री मिलान करते समय लड़की की कुंडली में पांचवे भाव को जरूर देखें कि कोई ग्रह संतान पर नेष्ट तो नहीं है अर्थात् राहु पांचवे घर में न हो,
राहु केतु का परिहार---असल में राहु केतु का प्रभाव घटाने वाला कोई ग्रह नहीं है खासकर 7 वें और 5 वें भाव में राहु पर किसी ग्रह का दबाव नहीं पड़ता, अर्थात् लड़की के राहु का लड़के के राहु पर, लड़के के राहु पर लड़की के राहु का कोई असर नहीं होता है, बल्कि दोनों को राहु नेष्ट हो तो संतानहीन योग होता है! फिर भी लग्नेश शुभ हो, पांचवे राहु के साथ हो या पंचमेश शुभ हो, पंचम भाव में हो या पांचवे दृष्टि हो तो उपाय करने पर संतान हो सकती है.
जन्मपत्री में यह भी देखें--सूर्य, मंगल, गुरु, केतु, शनि, राहु संतान में रूकावट कारक होते हैं, इनकी दशा अन्तर दशा की स्थिति देखे,
पंचमेश ग्रह कभी भी वक्री हो या अस्त हो तो संतान पर समस्या आएगा,
पांचवे भाव पर क्रूर ग्रह दृष्टि हो, या लग्नेश का प्रभाव पड़ता हो.
वर कन्या राशि मिलान में-नव पंचक दोष, नाड़ी दोष आदि, या कन्या राशि में मिलान के गुण थोड़े (कम) हो या कालसर्प योग हो!
अतः जानकार ज्योतिषी से जानकारी प्राप्त करके, उपाय करके इन उपरोक्त आदि की निवृत्ति करे सुखी रहें:-
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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से 16 अप्रैल 2022 तक का साप्ताहिक राशिफल
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