हर ग्रह अपनी गति से भ्रमण करता हुआ राशियां बदलता है. गोचर काल मे ग्रह अपनी स्थिति अनुसार विभिन्न राशियों को अच्छा व बुरा फल देते है.
इसी प्रकार शनि भी मंद गति से गोचर करता हुआ किसी जातक के द्वादश भाव मे आ जाता है. (चन्द्रकुण्डली) तो शनि की साढ़ेसाती प्रारंभ हो जाती है. शनि लगभग ढ़ाई वर्ष में एक राशि बदलता है.
यानी शनि गोचरवश एक राशि मे ढाई वर्ष तक रहता है. जब शनि चन्द्र कुंडली के द्वादश भाव मे आता है. तो शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चरण कहलाता है. इस प्रकार शनि द्वादश भाव, चन्द्र कुंडली के लग्न, और चन्द्र कुंडली यानी राशि के द्वितीय भाव मे गोचर करता है. तब तक साढ़ेसाती का प्रभाव पड़ता है.
द्वादश भाव से द्वितीय भाव तक गोचर करने में शनि को साढ़े सात वर्ष का समय लगता है. इसी कारण इसको शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है.
आम जन मानस शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनते ही भयभीत हो जाता है. जैसे कि शनि देव उसको बर्बाद ही कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं है.
शनि देव आबाद भी करते है.
चूंकि शनि देव न्याय के देवता है. इनको पापी, दुराचारी, लोभी, भ्रस्टाचारी, चोरी, डकैती, झूठ, धोखाधड़ी, ठगने, ईर्ष्या, व्यभिचार कतई बर्दाश्त नही है.
जो लोग इस प्रकार के कार्य मे संलग्न रहते है. उनको शनि अपने साढ़ेसाती के समय दण्डित करते है. जो पैसा माल लूट, खसोट करके, धोखाधड़ी करके, झूठ बोलके, पाप करके कमाया गया है. अब उसको खर्च करने व उसका दण्ड भुगतने का समय साढ़ेसाती में होता है.
व्यक्ति के द्वारा 30 वर्ष में किये गए समस्त पाप कार्यो का भुगतान शनि की साढ़ेसाती में करना पड़ता है.
इसके उलट ईमानदार, धार्मिक, सत सँगत, दानी व्यक्ति को शनिदेव की साढ़ेसाती से डरने की आवश्यकता नही है.
शनि की साढ़ेसाती हमेशा कष्टकारी नही होती है. कुछ राशियों के लिए शनि की साढ़ेसाती वरदान साबित होती है. जिनकी राशियां शनि की मित्र राशियां हो , शनि की राशियां जिनकी राशियों से केंद्र य्या त्रिकोण में पड़ती हो, जिनकी कुंडली मे शनि योगकारक हो, अछि स्थिति में शुभ भाव व स्व मित्र राशियों में स्थित हो , जिनकी कुंडली मे शनि देव राहु केतु के साथ न हो, जिनकी कुंडली मे शनि देव अग्नि तत्व ग्रह से युति दृष्टि न हो , शनि देव शुभ नक्षत्र व शुभ उप नक्षत्र में स्थित हो उन सब के लिए शनि की साढ़ेसाती एक वरदान साबित होती है. ऐसा जातक साढ़ेसाती काल मे फर्श से अर्ष बुलंदियों पर पहुच जाता है..
Astrologer R kumar Sainee
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-जानें ज्योतिष आचार्य पं. श्रीकान्त पटैरिया से 23 अप्रैल 2022 तक का साप्ताहिक राशिफल
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