चंडीगढ़. राज्य के किसान बिजली कटौती को लेकर सरकार का पुतला जला रहे हैं। विपक्षी नेता भी आप सरकार पर निशाना साध रहे हैं। पंजाब में कई कारणों से बिजली का उत्पादन कम हो गया है, जिसके चलते राज्य ब्लैकआउट की कगार पर है। खबर है कि राज्य सरकार बिजली की बढ़ती मांग और उपलब्धता के बीच संतुलन नहीं बना पा रही है। राज्य के कुल 15 थर्मल पावर यूनिट में से 4 बंद पड़े हैं। जिसके चलते 5880 मेगावाट की की क्षमता के मुकाबले केवल 3327 मेगावाट का उत्पादन हो पा रहा है।
अब बिजली की मांग को पूरा करने के लिए PSPCL ने अघोषित बिजली कटौती का रास्ता अपनाया है। ऐसे में राज्य के ग्रामीण क्षेत्र ज्यादा परेशान हैं, जहां बिजली कटौती हर रोज की कहानी हो गई है। हालात शहरी इलाकों में भी ठीक नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में भी 5 से 6 घंटे बिजली गुल रहती है।
खराब ट्रांसमिशन लाइनें और कमजोर ढांचे को बिजली की इस समस्या का बड़ा कारण माना जा रहा है। साथ ही कोयला की कमी भी बड़ी वजह में से एक है। इसके अलावा पंजाब के कई सरकारी विभागों की तरफ से बिजली बिलों का भुगतान नहीं होने और ज्यादा सब्सिडी ने भी PSPCL को आर्थिक चोट पहुंचाई है।
राज्य का मौजूदा सब्सिडी बिल अनुमानित रूप से 13 हजार करोड़ रुपये का है, जो जुलाई के बाद बढ़कर 19 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुफ्त यूनिट के चलते सरकार पर 6 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा।
राज्य में बिजली कटौती का किसान विरोध कर रहे हैं और आम जनता में नाराजगी है। इधर, विपक्ष भी इस मौके पर सरकार पर सवाल उठा रहा है। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष राजा अमरिंदर सिंह वडिंग ने सीम पर तंज कसा कि उन्हें अब एहसास हो जाना चाहिए कि शासन असली चुनौती है लाफ्टर चैलेंज नहीं। वहीं, अकाली दल का कहना है कि आप सरकार की तरफ से अपानाए गए दिल्ली मॉडल ने 17 घंटे कटौती के जरिए पंजाब को बिजली का झटका दिया है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-
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