पूर्णिमा तिथि का महत्त्व -2022 के वर्ष की पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि का महत्त्व -2022 के वर्ष की पूर्णिमा

प्रेषित समय :19:27:20 PM / Sun, May 15th, 2022

पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक होता है और उसमें आकर्षण की शक्ति भी बढ़ जाती है. वैज्ञानिक रुप में भी पूर्णिमा के दौरान ज्वार भाटा की स्थिति अधिक तीव्र बनती है. इस तिथि में समुद्र की लहरों में भी उफान देखने को मिलता है. यह तिथि व्यक्ति को भी मानसिक रुप से बहुत प्रभावित करती है. मनुष्य के शरीर में भी जल की मात्रा अत्यधिक बताई गई है ऎसे में इस तिथि के दौरान व्यक्ति की भावनाएं और उसकी ऊर्जा का स्तर भी बहुत अधिक होता है.

पूर्णिमा को धार्मिक आयोजनों और शुभ मांगलिक कार्यों के लिए शुभ तिथि के रुप में ग्रहण किया जाता है. धर्म ग्रंथों में इन दिनों किए गए पूजा-पाठ और दान का महत्व भी मिलता है. पूर्णिमा का दिन यज्ञोपवीत संस्कार जिसे उपनयन संस्कार भी कहते हैं किया जाता है. इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा की जाती है. इस प्रकार इस दिन की गई पूजा से भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं.

महिलाएँ इस दिन व्रत रखकर अपने सौभाग्य और संतान की कामना पूर्ति करती है. बच्चों की लंबी आयु और उसके सुख की कामना करती हैं. पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है और उसके अनुसार पर्व रुप में मनाया जाता है.

पूर्णिमा तिथि में जन्में जातक

जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि में हुआ हो, वह व्यक्ति संपतिवान होता है. उस व्यक्ति में बौद्धिक योग्यता होती है. अपनी बुद्धि के सहयोग से वह अपने सभी कार्य पूर्ण करने में सफल होता है. इसके साथ ही उसे भोजन प्रिय होता है. उत्तम स्तर का स्वादिष्ट भोजन करना उसे बेहद रुचिकर लगता है. इस योग से युक्त व्यक्ति परिश्रम और प्रयत्न करने की योग्यता रखता है. कभी- कभी भटक कर वह विवाह के बाद विपरीत लिंग में आसक्त हो सकता है.

मजबूत मानसिक शक्ति के कारण रुमानी भी होते हैं कई बार उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार भी कर सकते हैं जो इनके लिए नकारात्मक पहलू को भी दिखाती है और व्यक्ति अत्यधिक महत्वाकांक्षी भी होता है.

सत्यनारायण व्रत

पूर्णिमा तिथि को सत्यनारायण व्रत की पूजा की जाने का विधान होता है. प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि को लोग अपने सामर्थ्य अनुसार इस दिन व्रत रखते हैं अगर व्रत नहीं रख पाते हैं तो पूजा पाठ और कथा श्रवण जरुर करते हैं. चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. कथा और पूजन के बाद बाद प्रसाद अथवा फलाहार ग्रहण किया जाता है. इस व्रत के द्वारा संतान और मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.

पूर्णिमा तिथि योग

पूर्णिमा तिथि के दिन जब चन्द्र और गुरु दोनों एक ही नक्षत्र में हो, तो ऎसी पूर्णिमा विशेष रुप से कल्याणकारी कही गई है. इस योग से युक्त पूर्णिमा में दान आदि करना शुभ माना गया है. इस तिथि के स्वामी चन्द्र देव है. पूर्णिमा तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से करनी चाहिए.

पूर्णिमा तिथि महत्व 

इस तिथि के दिन सूर्य व चन्द्र दोनों एक दूसरे के आमने -सामने होते है, अर्थात एक-दूसरे से सप्तम भाव में होते है. इसके साथ ही यह तिथि पूर्णा तिथि कहलाती है. यह तिथि अपनी शुभता के कारण सभी शुभ कार्यो में प्रयोग की जा सकती है. इस तिथि के साथ ही शुक्ल पक्ष का समापन होता है. तथा कृष्ण पक्ष शुरु होता है. एक चन्द्र वर्ष में 12 पूर्णिमाएं होती है. सभी पूर्णिमाओं में कोई न कोई शुभ पर्व अवश्य आता है. इसलिए पूर्णिमा का आना किसी पर्व के आगमन का संकेत होता है

पूर्णिमा तिथि में किए जाने वाले काम

पूर्णिमा तिथि के दिन गृह निर्माण किया जा सकता है.
पूर्णिमा के दिन गहने और कपड़ों की खरीदारी की जा सकती है.
किसी नए वाहन की खरीदारी भी कर सकते हैं.
यात्रा भी इस दिन की जा सकती है.
इस तिथि में शिल्प से जुड़े काम किए जा सकते हैं.
विवाह इत्यादि मांगलिक कार्य इस तिथि में किए जा सकते हैं.
पूजा पाठ और यज्ञ इत्यादि कर्म इस तिथि में किए जा सकते हैं.

माघ पूर्णिमा महत्व, कथा, व्रत , पूजा विधि 

माघ मास की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा मनाई जाती है. 27 नक्षत्रो में मघा नक्षत्र के नाम से “माघ पूर्णिमा” की उत्पत्ति होती है. इस तिथि का धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व बताया गया है.

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार माघ पूर्णिमा पर स्वयं भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं. इस दिन जो भी जातक गंगा स्नान करते है तथा उसके बाद जप और दान करते है उन्हें सांसारिक बंधनो से मुक्ति मिलती है.

यह स्नान सम्पूर्ण माघ मास में चलता है अर्थात पौष मास की पूर्णिमा से आरंभ होकर माघ पूर्णिमा तक होता है. सम्पूर्ण मास में गंगा स्नान करने का विशेष महत्त्व है न की केवल पूर्णिमा के दिन. यदि आप  सम्पूर्ण मास में स्नान न कर सके, तो तीन दिन अथवा एक दिन माघ स्नान अवश्य ही करना चाहिए. जो जातक पूरे महीने गंगा स्नान करता वह इसी जन्म में मुक्ति का भागीदार होता है. त्रिवेणी स्नान करने का अंतिम दिन माघ पूर्णिमा ही है. कहा जाता है कि माघ स्नान करने वाले व्यक्ति पर भगवान कृष्ण प्रसन्न होकर धन-धान्य, सुख-समृद्धि तथा संतान एवं मुक्ति प्रदान करते हैं.

माघ पूर्णिमा का पौराणिक महत्व 

हिन्दू मान्यता के अनुसार माघ मास में सभी देवता मानव रूप धारण करके स्वर्गलोक से पृथ्वी पर आकर वास करते है तथा प्रयागराज में स्नान, जप और दान करते हैं. इसी कारण कहा जाता है कि इस दिन प्रयाग में गंगा स्नान करने से व्यक्ति की सभी मनोवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयाग गंगा यमुना और सरस्वती का संगम स्थल है इसी कारण इस स्थान का विशेष महत्व हो जाता है.आ  इस दिन ही होली का डंडा गाड़ा जाता है. इस दिन भैरव जयंती भी मनाने की परम्परा है.

जो जातक चिरकाल तक स्वर्गलोग में रहना चाहते हैं. उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर अवश्य तीर्थ स्नान करना चाहिए.

स्वर्गलोके चिंर वासो येषां मनसि वर्तते |
यत्र क्वापि जले तैस्तु स्नातव्यं मृगभास्करे॥

माघ पूर्णिमा 

माघ पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्त्व भी माना गया है. जब चन्द्रमा अपनी ही राशि कर्क में होता है तथा सूर्य अपने पुत्र शनि की राशि मकर में होता है तब माघ पूर्णिमा का योग बनता है. इस योग में सूर्य और चन्द्रमा एक दूसरे से आमने सामने होते है. इस योग को पुण्य योग भी कहा जाता है. इस योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा से मिलने वाले कष्ट शीघ्र ही नष्ट हो जाते है.

जिस जातक की कुंडली में सूर्य तुला राशि में है तथा मान-सम्मान, यश में कमी प्रदान कर रहा है तो वैसे व्यक्ति को माघ स्नान करना चाहिए तथा सूर्य भगवान् को प्रतिदिन अर्घ्य देना चाहिए ऐसा करने से सूर्य से मिलने वाले कष्ट दूर हो जाते है.

माघ पूर्णिमा व्रत कथा

प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नामक विद्वान ब्राह्मण निवास करते थे. ये बहुत ही लालची थे. इनका जीवन का मूल उद्देश्य येन केन प्रकारेण धन कमाना था तथा उन्होंने ऐसा किया भी. धन कमाते कमाते वे वृद्ध दिखने लगे. अब मेरे जीवन का उद्धार कैसे होगा? मैंने तो आजतक कोई सत्कर्म नहीं किया है. उसी समय उन्हें अचानक एक श्‍लोक स्मरण आया, जिसमें माघ मास में स्नान का महत्त्व बताया गया था.

शुभव्रत ने उसी श्‍लोक के अनुरूप माघ स्नान का संकल्प लिया और नर्मदा नदी में स्नान करने लगे. इस प्रकार वे लगातार 9 दिनों तक प्रात: नर्मदा के जल में स्नान करते रहे. दसवें दिन स्नान के बाद उनका स्वास्थ्य खराब हो गया.

माघ पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि

माघ पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम सुबह सूर्योदय से पहले किसी पवित्र गंगा, यमुना नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करना चाहिए .
यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं तो नहाने की पानी मे गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए.
यदि गंगाजल भी उपलब्ध न हो तो हाथ में जल लेकर इस संकल्प मन्त्र का उच्चारण करे -

ॐ गंगे च यमुना गोदावरी नर्मदे सिंधु कावेरी अस्मिन जले सन्निधिं कुरु. इस मंत्र के उच्चारण के बाद स्नान करना प्रारम्भ करे.
स्नान के बाद सूर्यदेव को “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मन्त्र से अर्घ्य देना चाहिए.
इसके बाद मन में माघ पूर्णिमा व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.
दोपहर में किसी गरीब व्यक्ति और ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दे.
दान में तिल और काले तिल विशेष रूप से दान करे तथा काले तिल से हवन और काले तिल से पितरों का तर्पण करे.

माघ पूर्णिमा व्रत में स्नान और दान से लाभ-

माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने से शारीरिक व्याधियां दूर होती हैं और शरीर निरोगी होता है.
इस दिन स्नान-ध्यान कर भगवान महादेव या विष्णु की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
सभी पापों से विमुक्ति, स्वर्गलाभ तथा भगवान् वासुदेव की प्राप्ति के लिए सभी श्रद्धालुओं को माघ स्नान करना चाहिए.

12 माह की पूर्णिमा

चैत्र माह की पूर्णिमा, इस दिन हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है.
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती का पर्व मनाया जाता है.
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री और कबीर जयंती मनाई जाती है.
आषाढ़ माह की पूर्णिमा गुरू पूर्णिमा के रुप में मनाई जाती है.
श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन रक्षाबन्धन मनाया जाता है.
भाद्रपद माह की पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा श्राद्ध संपन्न होता है.
अश्विन माह की पूर्णिमा के दिन शरद पूर्णिमा मनाई जाती है.
कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंति और गुरुनानक जयंती मनाई जाती है.
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन श्री दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है.
पौष माह की पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती मनाई जाती है.
माघ माह की पूर्णिमा को श्री ललिता जयंती मनाई जाती है.
फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है.

पूर्णिमा के उपाय -पूर्णिमा के टोटके

पूर्णिमा या पूनम के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकर में होते है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता हैं. साथ ही यह दिन माता लक्ष्मी को भी विशेष प्रिय होता है. पूर्णिमा के दिन किये गए उपायों का विशेष और शीघ्र प्रभाव होता है. शास्त्रों में पूर्णिमा को करने योगय बहुत से उपाय और टोटके बताये गए हैं.

आइये जानते है कुछ ऐसे ही उपाय –

1. शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है. इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें. इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी.
2. पूर्णिमा की रात में घर में महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा.
3. प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर बनाकर माँ लक्ष्मी जी का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप में वितरित करने से धन के आगमन के मार्ग खुल जाते है.
4. जो भी इंसान धन संबंधी परेशानियों से जूझ रहा है, उसे पूर्णिमा के दिन चंद्र उदय होने पर चंद्रमा को कच्चे दूध में चीनी और चावल मिलाकर अर्घ्य देना चाहिए. अर्घ्य देते समय ‘ओम स्त्रां स्त्रीं स्त्रों स: चंद्रमसे नम:’ या फिर ‘ओम ऐं क्लीं सोमाय नम:’ मंत्र का जप करना चाहिए. ऐसा करने से आर्थिक परेशानियां धीरे-धीरे कम होने लगती हैं.
5. प्रत्येक पूर्णिमा के दिन मां श्री लक्ष्मी के चित्र या फोटो पर 11 कौड़ियां चढ़ाकर उन पर हल्दी से तिलक करें उसके बाद अगले दिन सुबह इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें लें. इस उपाय से घर में धन की कमी नही रहती है. पर एक बात का ध्यान रखें की प्रत्येक पूर्णिमा के दिन इन कौड़ियों को अपनी तिजोरी से निकाल कर माता के सम्मुख रखकर उन पर पुन: हल्दी से तिलक करें फिर अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांध कर अपनी तिजोरी में रखे ले.

वर्ष की पूर्णिमा व्रत

हिंदू महीना-पूर्णिमा व्रत नाम-अन्य नाम या उसी दिन के त्यौहार

1 चैत्र-चैत्र पूर्णिमा हनुमान जयंती
2 वैशाख-वैशाख पूर्णिमा बुद्ध पूर्णिमा, कूर्म जयंती
3 ज्येष्ठ ज्येष्ठ पूर्णिमा-वट पूर्णिमा व्रत
4 आषाढ़-आषाढ़ पूर्णिमा-गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा
5 श्रावण-श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन, गायत्री जयंती
6 भाद्रपद-भाद्रपद पूर्णिमा-पूर्णिमा श्राद्ध, पितृपक्ष आरंभ
7 अश्विन-आश्विन पूर्णिमा शरद पूर्णिमा, कोजागरा पूजा
8 कार्तिक-कार्तिक पूर्णिमा-देव दीपावली
9 मार्गशीर्ष-मार्गशीर्ष पूर्णिमा-दत्तात्रेय जयंती
10 पौष पौष पूर्णिमा शाकंभरी पूर्णिमा
11 माघ माघ पूर्णिमा गुरु रविदास जयंती

Koti Devi Devta

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

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